रतलाम जिले के जावरा इंडस्ट्रियल एरिया की शनिवार शाम बिल्कुल सामान्य थी। रोज की तरह फैक्ट्रियों में आवाजाही थी, मजदूर काम निपटा रहे थे और आसपास का माहौल शांत था। लेकिन कुछ ही मिनटों में यह शांति घबराहट और डर में बदल गई, जब फेरिक सल्फेट बनाने वाली एक फैक्ट्री से अचानक क्लोरीन गैस फैलने लगी। हवा में तेज़ गंध और धुंध जैसे माहौल ने लोगों को संभलने का मौका ही नहीं दिया।
गैस देखते ही मजदूर बाहर की ओर भागे। किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि लीक कहां से हुआ, गैस कितनी फैल चुकी है और हालात कब तक काबू में आएंगे। कुछ कर्मचारी गिरते-संभलते बाहर निकलते देखे गए। इसी अफरातफरी के बीच 5 लोग गंभीर रूप से प्रभावित हुए और उन्हें सांस लेने में परेशानी, उल्टी और चक्कर की शिकायत के साथ अस्पताल ले जाया गया।
क्लोरीन गैस लीक कैसे हुआ?
जावरा इंडस्ट्रियल एरिया में हुए इस क्लोरीन गैस लीक का कारण एक पुराना गैस सिलेंडर बताया जा रहा है। फैक्ट्री में फेरिक सल्फेट पाउडर तैयार किया जाता है और इसके लिए कई तरह के केमिकल टैंक और सिलेंडर मौजूद रहते हैं। प्राप्त जानकारी के मुताबिक, गैस उसी सिलेंडर से लीक हुई जो लगभग 20 साल पुराना था। लीक शुरू होते ही गैस तेजी से फैली और कुछ ही मिनट में इंडस्ट्रियल एरिया का बड़ा हिस्सा हल्की धुंध की तरह ढक गया। जिन मजदूरों ने गैस पहले महसूस की, उन्होंने तुरंत बाहर भागकर दूसरों को चेतावनी देने की कोशिश की, लेकिन तब तक काफी लोग इसकी चपेट में आ चुके थे।
5 मजदूर बीमार, 3 दमकलकर्मी भी गैस से प्रभावित
गैस फैलने के बाद सबसे ज्यादा खतरे में वे मजदूर थे जो उस समय फैक्ट्री के अंदर काम कर रहे थे। इनमें से 5 लोगों को इतनी गंभीर समस्या हुई कि उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाना पड़ा। सभी को सांस लेने में दिक्कत, उल्टी, आंखों में जलन और चक्कर आने की शिकायत थी। राहत की बात यह है कि ज्यादातर मजदूरों की हालत अभी स्थिर बताई जा रही है, लेकिन एक मजदूर को ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखा गया है। गैस लीक के दौरान फायर ब्रिगेड की टीम भी मौके पर पहुंची।
अफरातफरी में खाली कराई गईं करीब 10 फैक्ट्रियां
जैसे ही क्लोरीन गैस पूरे इलाके में फैलने लगी, प्रशासन ने तुरंत आसपास के इलाकों को खाली कराना शुरू किया। करीब 10 फैक्ट्रियों में काम बंद कराकर कर्मचारियों को घर भेज दिया गया। पूरा इंडस्ट्रियल एरिया कुछ देर के लिए बंद रहा और मुख्य सड़कों पर आवाजाही रोक दी गई। जिन मजदूरों ने रिसाव को करीब से देखा, वे घबराए हुए थे और खुद को संभालने की कोशिश कर रहे थे। कुछ लोग मास्क ढूंढ रहे थे, कुछ कपड़ा बांधकर खुद को बचाने की कोशिश कर रहे थे।
हादसे के समय फैक्ट्री का जिम्मेदार स्टाफ मौके से गायब
घटना के वक्त जानकारी मिली है कि फैक्ट्री का कोई भी वरिष्ठ अधिकारी मौके पर मौजूद नहीं था। केवल तीन मजदूर प्लांट के अंदर काम कर रहे थे, जिनमें से दो गैस की तीव्रता से बेहोशियत जैसी हालत में पहुंच गए। प्रशासन इसे गंभीर लापरवाही मान रहा है और फैक्ट्री प्रबंधन से कई मुद्दों पर जवाब मांगे जा रहे हैं।
SDRF, प्रशासन और पुलिस ने संभाला मोर्चा
गैस फैलने की सूचना मिलते ही SDRF की टीम, पुलिस और प्रशासन के अधिकारी मौके पर पहुंचे। फायर ब्रिगेड ने लगातार पानी का छिड़काव किया, ताकि हवा में मौजूद क्लोरीन गैस कम हो सके और लोगों को राहत मिले। कलेक्टर मिशा सिंह ने बताया कि फैक्ट्री में मौजूद छोटा क्लोरीन टैंक बंद कर दिया गया है और रिसाव पूरी तरह नियंत्रित कर लिया गया है। उन्होंने कहा कि हादसे में जनहानि नहीं हुई है, लेकिन मजदूरों का इलाज जारी है।





