डीआईजी सुशांत सक्सेना ने रतलाम पुलिस को दी मुखबिर तंत्र को मजबूत करने की नसीहत

Gaurav Sharma
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रतलाम, सुशील खरे। रतलाम में बुधवार को पुलिस कंट्रोल रुम में बैठक आयोजित की गई थी, जिसमें डीआईजी सुशांत सक्सेना द्वारा पुलिस अधिकारियों को जरूरी दिशा-निर्देश दिए गए। पुलिस अधिकारी और कर्मचारी को डीआईजी ने मिलावटखोर और शराब माफिया पर कार्रवाई को लेकर मुखबिर तंत्र को मजबूत करने की नसीहत दी। साथ ही डीआईजी ने पुलिस अधिकारियों को बारीकी से निगाह रखने को कहा। शराब माफिया पर की जाने वाली कार्रवाई को लेकर पुलिस को पूरी तरह सफलता नहीं मिल पा रही है, जिसको गंभीरता से लेते हुए डीआईजी ने जिले में मुखबिर तंत्र को मजबूत करने को कहा। ताकि तत्काल सूचना मिले और त्वरित कार्रवाई की जा सके। साथ ही शराब की बिक्री, परिवहन व लाइसेंसधारी की चैकिंग व कच्चे माल लेने-देन पर भी बारीकी से निगरानी रखी जाए।

डीआईजी सुशांत सक्सेना ने आयोजित बैठक में पुलिस अधिकारियों को नाबालिग, गुम बालक-बालिकाओं के प्रकरण में संवेदनशीलता से कार्रवाई कर ऑपरेशन मुस्कान को सफल बनाने के निर्देश दिए। डीआई सक्सेना ने थाना रावटी, बाजना, सरवन में ज्यादा प्रकरण लंबित होने पर नाराजगी जताते हुए शीघ्र निराकरण के निर्देश दिए। बैठक में एसपी गौरव तिवारी, एएसपी डॉ. इंद्रजीत बाकलवार, एएसपी (ग्रामीण) सहित सभी राजपत्रित अधिकारी व थाना प्रभारी मौजूद रहे।

डीआईजी सुशांत सक्सेना द्वारा दिए गए दिशा निर्देश

  • मिलावटखोरों पर की जाए कार्रवाई
  • अवैध शराब व जहरीली शराब के विरुद्ध जीरो टोलरेंस अपनाकर कार्रवाई करें
  • गुंडे माफिया के खिलाफ कठोर कार्रवाई करें
  • नाबालिग बालक-बालिका की दस्तयाबी हेतु अभियान चलाकर कार्रवाई करें
  • मिलावटखोर के खिलाफ कार्रवाई करें
  • सूचना संकलन के लिए ग्राम कोटवार प्रणाली का उपयोग करें
  • जिले में चिटफंड़ कंपनियों द्वारा किए गए घोटालों पर कार्रवाई कर आरोपियों की संपत्ति कुर्क करें
  • मिलावटखोरों के खिलाफ कार्रवाई करें
  • बलात्कार, छेड़छाड़ व पॉक्सो एक्ट के प्रकरणों में आरोपी का ड्राइविंग लाइसेंस निरस्त करने की कार्रवाई करें
  • गुंडे, माफिया की गतिविधि पर सतत निगरानी रखते हुए सक्रिय लोगों पर कठोर कार्रवाई करें।

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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