रतलाम, सुशील खरे। रतलाम मेडिकल कॉलेज (ratlam medical college) की बदहाली, बदइंतजामी और अव्यवस्थाएं सुधरने का नाम नहीं ले रही हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (cm shivraj singh chauhan) ने सभी जिलों (districts) में कोविड-19 की चिंताजनक स्थिति को देखते हुए प्रभारी मंत्रियों (minister in charge) को नियुक्त करा था। इसके पश्चात जगदीश देवड़ा रतलाम में आए थे और उन्होंने मीडिया (media) के सामने मेडिकल कॉलेज की खामियों को स्वीकार करते हुए कहा था कि 2 दिन में मेडिकल कॉलेज की व्यवस्थाएं सुधर जाएंगी। इसके साथ ही उन्होंने मेडिकल कॉलेज और जिला प्रशासन (administration) के लिए सख्त निर्देश दिये थे। परंतु अभी भी मेडिकल कॉलेज की व्यवस्थाएं जस की तस है या यूं कहें कि और बदतर होती जा रही है।
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आज भी मेडिकल कॉलेज में पत्रकार लाइन से जुड़े हुए एक वरिष्ठ पत्रकार की मौत होने के पश्चात उनके परिजनों के द्वारा जमकर हंगामा मचाया गया। परिजनों का आरोप था कि वह लगातार चार-पांच दिन से मेडिकल कॉलेज प्रबंधन से गुहार लगा रहे थे कि उनके मरीज की सुध ले परंतु किसी के द्वारा उनकी सुध नहीं ली गई। और वह तड़प तड़प कर मर गए। इस संदर्भ में मीडिया के द्वारा भी लगातार मेडिकल कॉलेज प्रबंधन और जिला प्रशासन को अवगत कराया जा रहा था परंतु उसका कोई असर नहीं हुआ। जिसकी परिणीति आज पत्रकार जगत से जुड़े रमेश राठौड़ की मृत्यु के रूप में सामने आई। इसके पश्चात परिजनों और अन्य लोगों के द्वारा जमकर मेडिकल कॉलेज में हंगामा कर बदइन्तजामी पर अपना रोष प्रकट किया।
उल्लेखनीय है कि जब जगदीश देवड़ा रतलाम आए थे उस दौरान मेडिकल कॉलेज के बाहर दो भाइयों के द्वारा बिलखते हुए उनके सामने अपनी व्यथा सुनाई गई थी और बताया गया था किस प्रकार मेडिकल कॉलेज की व्यवस्था चरमरा गई है और मरीज के परिजनों को परेशान हो रहा पड़ रहा है। पानी, नित्य क्रिया आदि के लिए उन को तड़पना पड़ता है। तो कुछ मरीजों ने बताया कि उनको अपनी रूटीन की दवाइयां भी प्राप्त नहीं हो पाती जिससे उनकी हालत ज्यादा बिगड़ जाती है। इन रोते हुए भाइयों को प्रभारी मंत्री जगदीश देवड़ा के द्वारा आश्वासन दिलाया गया था कि अब इस प्रकार की बदहाली यहां पर नहीं दिखाई देगी। और 2 दिन के अंदर व्यवस्था सुधर जाएगी। यही वादा उनके द्वारा मीडिया से भी किया गया था। उनके सख्त निर्देश जारी करने के पश्चात भी आज भी व्यवस्था नहीं सुधरी है। हालांकि स्टाफ की कमी बताने के पश्चात यहां पर walk-in इंटरव्यू की प्रक्रिया के साथ कुछ स्टाफ की भर्ती कर दावा किया गया था कि व्यवस्थाएं अब सुधर रही है। परंतु हालात जस के तस हैं जिसका उदाहरण आज का हंगामा है।
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जब जगदीश देवड़ा के सामने दोनों भाइयों ने रोते हुए अपनी व्यथा सुनाई थी उस समय जावरा के विधायक राजेंद्र पांडे ने भी अपना रोष व्यक्त करा था और मेडिकल कॉलेज की डीन से कहा था कि अगर व्यवस्था में कमी है और आपके पास कुछ संसाधनों की कमी है तो आप आइए मीटिंग में बताइए तथा उनके द्वारा काफी कड़े शब्दों में विरोध जताया गया था उसके बाद भी अभी तक व्यवस्था नहीं सुधरी है और मरीजों को प्राण से हाथ धोने पड़ रहे हैं।