निजी अस्पतालों की मनमानी पर प्रशासन का डंडा, कोरोना पॉजिटिव मरीजों का होगा इलाज

रतलाम, सुशील खरे। जिले को छोड़ पूरे प्रदेश के निजी अस्पतालों में कोविड-19 से पीड़ित रोगिओं का इलाज हो रहा था पर रतलाम में ऐसा कुछ नहीं हो रहा था , जिसके बाद मीडिया के प्रयास से अब मनमानी पर उतरे निजी अस्पतालों पर अब प्रशासनिक डंडा चला है। अब शहर के सभी अस्पतालों के 40% बेड पर कोरोना पॉजिटिव मरीजों का इलाज होगा। अब तक प्रशासन ने डॉक्टरों पर पॉजिटिव मरीजों के इलाज के लिए अस्पताल तय करने का फैसला छोड़ा था, लेकिन शहर का एक भी अस्पताल पॉजिटिव मरीजों के इलाज के लिए राजी नहीं हो रहा था। मजबूरन निजी अस्पतालों में इलाज करवाने के इच्छुक लोग अहमदाबाद और इंदौर में जाने को मजबूर थे। अस्पतालों के इस रवैये को मीडिया ने भी प्रमुखता से उठाया था। अब कलेक्टर गोपाल चंद्र डाड ने डॉक्टरों की दो संस्था इंडियन मेडिकल एसोसिएशन और नर्सिंग होम एसोसिएशन को कहा है कि सभी अस्पतालों में 40 प्रतिशत बेड कोरोना पॉजिटिव मरीजों के लिए आरक्षित कर लिए जाएं।

फ़िलहाल अभी सभी निजी अस्पताल इस सेवा के बदले 40% रुपया ज्यादा लेकर व्यवसाय करेंगे, साथ ही रूम और बेड के लिए भी तय होगी दर। वहीं एसोसिएशन को दो दिन के भीतर अस्पताल वार व्यवस्था को बताना होगा।


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Gaurav Sharma

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।