रतलाम, सुशील खरे। कोविड 19 का कितना खतरनाक है। इसका उदाहरण एक बार फिर मिला। जब प्रदेश के अन्य जिलों के साथ रतलाम में भी साल भर के मुख्य त्योहार पर लॉक डाउन लगाना पड़ा संक्रमण पर नियंत्रण के लिए किए गए संडे लाकडाउन के दौरान शहर पूरी तरह बंद रहा। सड़कों पर जरुरी काम से इक्का-दुक्का लोग ही निकलते नजर आए। जगह-जगह पुलिस तैनात होकर सड़को पर निकलने वाले लोगो से पूछताछ कर रही है और लोगो घर में रहने की हिदायत दे रही है। इधर लाकडाउन के दौरान दूध वितरण नहीं होने से आमजन खासकर बच्चों वाले घरों में काफी परेशानी हुई।
शनिवार रात को लाकडाउन लागू होते ही रतलाम की सड़कों पर सन्नाटा पसरा नजर आया। कोरोना संक्रमण की चेन तोड़ने के लिए लोग घरों में कैद रहे और सड़कों पर आम दिनों की तुलना में आवाजाही बहुत नहीं के बराबर है। सभी प्रमुख सड़कों और बाजारों की दुकानें बंद हैं। शहर में जगह-जगह पुलिस तैनात है और आने-जाने वाले लोगों से पूछताछ कर रही है। लॉकडाउन का पालन करवाने के लिए हजारो पुलिसकर्मियों का अमला सड़कों पर है। पुलिस की गाडियां भी लगातार गश्त लगा रही है।
Read More: Jabalpur News: तेज रफ्तार बस बाईपास पर पलटी, 1 दर्जन से अधिक यात्री घायल, मौके पर पहुंची पुलिस
इधर लॉक डाउन के पूर्व शनिवार को आवश्यक वस्तुओं की खरीदी के लिए बाजारों में काफी भीड़ रही। दूध की दुकानों पर लंबी लाइने देखने को मिली। कई जगह दूध खत्म होने से लोगों को दूध नहीं मिल पाया। रविवार को भी दूध वितरण की अनुमती नहीं होने से आमजन परेशान होते रहे। लाकडाउन में दूध वितरण प्रतिबंधित करने के प्रशासन के निर्णय पर सवाल खड़े हो रहे है। सोशल मीडिया पर भी यह चर्चा चलती रही कि पिछले वर्ष लंबे लाकडाउन में भी दूध और आवश्यक वस्तुओं की उपलब्धता में परेशानी नहीं हुई और इस बार एक दिन के लाकडाउन में ही परेशानी का सामना करना पड़ा।