सागर, अतुल मिश्रा। सोने की तस्करी मामले में नित नए राज उजागर हो रहे है। सागर में जहां कई बड़े सर्राफा कारोबारियों के सोने की स्मगलिंग तस्करी से जुड़े होने जानकारी विभाग को मिली है, वहीं तस्करी करने वाला मुख्य सरगना वैभव जैन दुर्ग छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े सर्राफा कारोबारी प्रकाश साँखला से जुड़ा हुआ पाया गया हैै। वहीं से वो तस्करी का सोना सागर में लाकर यहां के सर्राफा व्यपारियों को देता था। जिसके बदले में वैभव को भारी कमीशन मिलता था।
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रेवेन्यू ऑफ इंटेलिजेंस की टीम को वैभव से पूछताछ में जो जानकारी मिली है उसके बाद छत्तीसगढ़ की डीआरआई ने दुर्ग के सबसे बड़े ज्वेलरी कारोबारी एवं चेम्बर ऑफ कॉमर्स छत्तीसगढ़ के प्रदेश उपाध्यक्ष प्रकाश साँखला के घर एवं दुकान पर दबिश देते हुए 65 लाख रुपए नकद तथा एक किलो सोना जब्त किया है। बुधवार को दिनभर प्रकाश साँखला से इंटेलीजेंस टीम ने पूछताछ की और उसके भतीजे नितिन को भी हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है। प्रकाश साँखला को टीम रायपुर ले गई है जहां उसके कारोबार से लेकर तस्करी से जुड़े अन्य लोगों के नामों का खुलासा हो सकता है।
500 करोड़ का टर्न ओवर है साँखला का
सागर का वैभव जैन प्रकाश साँखला का करीबी कारोबारी है और वैभव से हुई पूछताछ में प्रकाश साँखला का नाम उजागर हुआ था जिसके बाद उसके यहां से इतनी बड़ी नकद राशि जब्त की गई है। दुर्ग के सर्राफा व्यवसायी प्रकाश साँखला का सालाना टर्न ओवर 500 करोड़ रुपये से अधिक का है। वह दुर्ग का सबसे बड़ा ज्वेलर माना जाता है। छत्तीसगढ़ के अलावा मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, ओडिशा, आंध्रप्रदेश, महाराष्ट्र और दिल्ली तक सोना, आभूषण, गहने तस्करी के द्वारा भेजता है। मध्यप्रदेश के सागर, जबलपुर, कटनी, रीवा, सीधी सहित 15 जिलो में सोने की तस्करी का यह कारोबार वैभव जैन के माध्यम से संचालित किए जाने की जानकारी सामने आ रही है। सूत्रों का कहना है कि सागर में तीन बड़े सर्राफा व्यवसायी इंटेलीजेंस के टारगेट पर आए हैं और कभी भी सागर के इन व्यापारियों से पूछताछ करने इंटेलीजेंस की टीम कार्रवाई शुरू कर सकती है।
वैभव के हर कर्मचारी का वेतन 25 हजार प्रति ट्रिप
सागर में सोने की तस्करी का मुख्य सरगना वैभव जैन डेढ़ से दो वर्षों में ही कर्जदार से करोड़पति हो गया। जिस युवक के पास कुछ भी नही था आज उसके पास 15 कर्मचारी हैं, लग्ज़री कारें हैं, मकान, आभूषण गहनों के अलावा प्रापर्टी भी है। यह सब डेढ़ से दो वर्षों में हुआ है। तस्कर वैभव जैन अपने हर कर्मचारी को प्रति ट्रिप 25 हजार का पेमेंट देता है। महीने में चार से पांच ट्रिप तस्कर की लगती थी उसके लिए वैभव बदल बदलकर कार उपलब्ध कराता था। सोना तस्करी से जुड़े वैभव के साथियों कर्मचारियो को हर महीने एक लाख से लेकर सवा लाख रूपये तक पेमेंट बनती थी। इस तरह हर माह 15 से 18 लाख का पेमेंट वैभव केवल कर्मचारियों का कर रहा था। कर्मचारियो के हाई प्रोफ़ाइल शौक भी वैभव जैन पूरे करता था।
वैभव के पिता देखते थे सागर का काम
डायरेक्टर ऑफ रेवेन्यू इंटेलीजेंस की पूछताछ में जो खुलासा हुआ है वह चौंकाने वाला है। सूत्रों ने बताया कि वैभव जैन की उम्र महज 28 से 30 साल है। इतनी कम उम्र मेंं करोड़ों रुपयों की काली कमाई करने में उसके पिता भी हाथ बंटाने लगे थे। वैभव के पिता सागर में सर्राफा कारोबारियों से संबंध बनाने, तस्करी का सोना खरीदने, टैक्स की चोरी करने जैसी सलाहें देते हैं। इसके अलावा बकाया रहने वाले कमीशन की उगाही, काली कमाई को व्यापारियों के यहां ब्याज पर देने जैसे कार्य वैभव के पिता देख रहे हैं। पूछताछ में यह भी पता चला है कि सागर सर्राफा के अधिकांश व्यापारियों ने टैक्स से बचने और ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए कम कीमत का सोना और आभूषण लेने का चलन बना लिया है। केवल खानापूर्ति के लिए बिल पर खरीदी बिक्री की जाती है जिससे वह टैक्स से बचे रहे।