वन विभाग की दबंग महिला ऑफीसर पर रेत माफिया का हमला, पुलिस पर उठे सवाल

Atul Saxena
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मुरैना, संजय दीक्षित। चंबल अंचल में रेत माफिया (Sand Mafia) कितना दबंग है और उसे कितना संरक्षण मिला हुआ है इसका उदाहरण एक बार फिर देखने को मिला है। जिले में अवैध उत्खनन करने वालों पर ताबड़तोड़ कार्यवाही करने वाली वन विभाग (Forest) की एसडीओ श्रध्दा पांढरे और उनकी टीम पर लाठी डंडे और पत्थर से हमला कर दिया। करीब एक सैकड़ा से ज्यादा संख्या में आये माफिया (Mafia)  ने वन विभाग द्वारा जब्त किया हुआ ट्रैक्टर मुक्त करा लिया। महिला अफसर ने पूरी कार्यवाही को लेकर पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाये हैं और मिली भगत के आरोप लगाए हैं।

बुधवार को अवैध रेत से भरी 3 ट्रैक्टर ट्रॉलियों को जप्त कर राजसात की कार्यवाही के लिए वन डिपो में सुपुर्द कर दिया था। उसके बाद देवगढ़ थाना क्षेत्र के पठानपुरा में अवैध रेत से भरी ट्रैक्टर ट्रॉली को जप्त कर देवगढ़ थाने में सुपुर्दगी करने जा रही थी तभी लोहिक पुरा की पुलिया पर वन विभाग (Forest)  की टीम को रोकने के लिए काँटे डाल दिए गए । जिससे ट्रैक्टर ट्रॉली को कार्यवाही के लिए थाने न ले जा सकें। करीब एक सैंकड़ा से अधिक माफिया अचानक लाठी डंडों से लैस होकर आए और उन्होंने दबंग महिला ऑफिसर एसडीओ श्रध्दा पांढरे और उनकी टीम पर हमला कर दिया हैं। देवगढ़ थाना से एक किलोमीटर की दूरी पर एक सैकड़ा से अधिक माफियाओं ने फॉरेस्ट की टीम पर लाठी डंडों से हमला कर फायरिंग करते हुए ट्रैक्टर ट्रॉली छुड़ा कर भाग गए। इस हमले में आरक्षक एसएएफ मुकेश सैन घायल हो गए।घायल को उपचार के लिए जिला अस्पताल में भेजा गया हैं।

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गौरतलब है कि दो महीने में माफिया के द्वारा एसडीओ श्रद्धा पांढरे पर करीब 8 बार हमले किये जा चुके हैं। उसके बाद भी उन्होंने हिम्मत नही हारी है। पूरे मामले में एसडीओ श्रध्दा पांढरे का कहना है कि थाने से महज एक किलोमीटर की दूरी पर रेत माफियाओं ने हमला किया है। अगर थाने का बल मौके पर पहुँच जाता तो शायद माफिया वन विभाग की टीम पर हमला नहीं करते। मैंने टीआई को सूचना भी दी कि फ़ोर्स भेज दें लेकिन फ़ोर्स नहीं आया बल्कि एक सैकड़ा लोग पूरी प्लानिंग से आ गए जैसे उन्हें वन विभाग की टीम की पूरी जानकारी है।

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महिला एसडीओ ने बताया कि घटना के बाद जब टीआई से एफआईआर के लिए बोला गया तो टीआई बोले कि एसडीओ साहब से बात कर लो तब एफआईआर करूँगा जब कि मैने कहा कि हमलावरों के वीडियो भी हमारे पास है।उसके बाद भी टीआई ने एक न सुनी। उन्होंने कहा कि ग्रामीणों का कहना है कि हम पुलिस वालों को एंट्री देते हैं।  अब ये एंट्री  ग्रामीण और पुलिस वाले ही बता सकते हैं। हम जैसे तैसे मुरैना बभी पहुँच गए लेकिन फिर भी टीआई ने फोन कर नहीं पूछा कि मैडम आप ठीक है कि नहीं।


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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