28 सालों से इस सीट पर जीत के लिए जोर लगा रही कांग्रेस, इस बार बसपा ना बिगाड़ दे खेल

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सतना।

मध्य प्रदेश के सतना लोकसभा सीट पर बीते 20 सालों से बीजेपी का एक तरफा राज रहा है। यहां पिछले 28 सालों से कांग्रेस का बीजेपी को हराने का हर दांव फेल रहा है। आखरी बात इस सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह ने 1991 भाजपा के सुखेंद्र सिंह को मात दी और सांसद बने थे। इसके बाद लगातार इस सीट पर बीजेपी जीत हासिल करती रही। वर्तमान में यहां से गणेश सिंह यहां के सांसद हैं और बीजेपी ने इस बार फिर सिंह पर भरोसा जताया है। वही कांग्रेस ने ब्राह्मण वोट को साधने के लिए राजाराम त्रिपाठी को मैदान में उतारा है।वही बसपा से अच्छे लाल कुशवाहा मैदान में है।जिसके चलते मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है।ऐसे में कांग्रेस के लिए जीतना और बीजेपी के लिए सीट बचाना किसी किले को फतह करने से कम नही है।

राजनीतिक दृष्टि से सतना लोकसभा सीट काफी चर्चित रहती है। बीजेपी यहां पर पिछले 5 चुनाव में जीत हासिल कर चुकी हैयहां विधानसभा की 7 सीटें चित्रकूट, नागौद, रामपुर बाघेलान, रैगांव, मैहर, सतना और अमरपाटन आती हैं। इन 7 विधानसभा सीटों में से 5 पर बीजेपी और 2 पर कांग्रेस का कब्जा है। यहां से भाजपा के गणेश सिंह मैदान में हैं, तो कांग्रेस ने ब्राह्मण वोट को साधने के लिए राजाराम त्रिपाठी को मैदान में उतारा है। चुंकी यहां सबसे ज्यादा ब्राह्मणों की आबादी है, ।ऐसे में  भाजपा को इस वर्ग के वोटों का बड़ा नुकसान होता दिख रहा है। इससे पहले कांग्रेस के गैर ब्राह्मण प्रत्याशियों की वजह से अब तक यह वोट बैंक बीजेपी के खाते में जाता रहा है। ब्राह्मण वोट इस सीट पर निर्णायक माने जाते हैं।साथ ही सतना विंध्य का इकलौता संसदीय क्षेत्र है, जिसके सामान्य सीट होने के बावजूद पिछले दो दशक से इस सीट पर सामान्य वर्ग का कोई प्रत्याशी विजयी नहीं हुआ। वर्ष 1991 के आम चुनाव में कांग्रेस के दिग्गज नेता अर्जुन सिंह ऐसे आखिरी सांसद थे। 

वही इस सीट पर बहुजन समाज पार्टी(बसपा) का भी अच्छा खासा प्रभाव है। बसपा ने यहां से अच्छे लाल कुशवाहा को मैदान में उतारा है।जिसके चलते मुकाबला त्रिकोणीय और दिलचस्प हो गया है।पिछले चुनाव में यहां कांग्रेस दूसरे और बसपा तीसरे स्थान पर रही थी। वहीं 2009 के चुनाव में बसपा इस सीट पर दूसरे स्थान पर थी। सतना लोकसभा सीट पर 6 बार बीजेपी को, 4 बार कांग्रेस को, 1 बार बसपा को और 1 बार भारतीय जनसंघ को जीत मिल चुकी है। 


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