पत्रकारिता की आँख, नाक और कान रूपी स्ट्रिंगर के कृतित्व को उजागर करती “डॉ नरेंद्र अरजरिया” की नई पुस्तक

डेस्क रिपोर्ट। सर्वमान्य है कि समाचार पत्र और पत्रकार समाज का वास्तविक आइना होते हैं। कोई भी समाचार पत्र एकल प्रयास से मुद्रण के लिए तैयार नही होता, इसी प्रकार कोई भी इलेक्ट्रॉनिक चैनल अकेले प्रसारण के स्तर पर नही आ पाता। यह सब टीम शैली में ही संम्पन्न हो पाते है। समाचार पत्रों / चैनलों को समाचार के लिए आवश्यक सूचनाएं/जानकारी देने का काम स्ट्रिंगर करते हैं, जिन्हें समाज पत्रकार के रूप जानता है। संछेप में कहें कि यही पत्रकारिता की आँख, नाक, कान है। इन्हें और इनके जीवन के संबंध में समाज को जानना, समझना भी चाहिए। इस आशय के विचार महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो भरत मिश्रा ने बुंदेलखंड के टीकमगढ़ में कार्यरत टीवी चैनल के पत्रकार डॉ नरेंद्र अरजरिया द्वारा लिखित पुस्तक स्ट्रिंगर को पढ़ने के बाद व्यक्त किया।

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प्रो मिश्रा ने कहा मेरी खुशी उस समय दूनी हो जाती हैं, जब मैं पाता हूँ कि स्ट्रिंगर शीर्षक की पुस्तक के लेखक डॉ नरेंद्र अरजरिया ग्रामोदय विश्वविद्यालय से ही पत्रकारिता स्नातक, ग्रामीण विकास से परास्नातक और पत्रकारिता व जनसंचार में पीएचडी उपाधि प्राप्त है। प्रो मिश्रा ने कहा कि डॉ अरजरिया की इस नई कृति के अध्यायों में स्ट्रिंगर के कार्य करने /कैरियर के रूप में अपनाने की इक्छाओ, मीडिया की दुनिया, समाचारों की अवधारणा व तत्वों,स्ट्रिंगर की पहचान, दायित्व, पेशेगत जोखिम, कानूनी परिदृश्य, नामचीन स्ट्रिंगर, स्ट्रिंगरशिप की बदलती दुनिया के साथ साथ स्ट्रिंगरो की सफल गाथाएँ भी लिखी गई है। जाने माने पत्रकारो की राय भी इस पुस्तक में दी गई है।कुलपति प्रो मिश्रा ने सुझाव दिया है कि आंचलिक पत्रकारिता में प्रवेश करने वालो को डॉ नरेंद्र अरजरिया की नई पुस्तक स्ट्रिंगर पढ़नी चाहिए। इस पुस्तक में पत्रकारिता की आँख, नाक और कान के रूप में स्ट्रिंगर के दायित्व निर्वहन करने वाले को पूरे तत्थों और उदाहरणों के माध्यम से बताया गया है।


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Harpreet Kaur