सतना, डेस्क रिपोर्ट | देशभर में दिवाली का त्योहार बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। हर बार की तरह इस साल भी हर राज्य में शहर को दीपों से सजाया जाएगा। साथ ही, भीड़ को देखते हुए सुरक्षा के कड़े इंतजाम भी किए गए हैं। दिवाली के अवसर पर लोग अपने घरों की साफ-सफाई, खरीदारी करते हैं। बता दें कि दिवाली पर मिट्टी को तरह-तरह के दिए, मिट्टी के खिलौने, आदि से सजाए जाते हैं।
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दीपावली दीपों का त्योहार है इस दिन सभी जगह लोग अपने घरों को दिए जलाकर रोशन करते हैं। इस दिन लक्ष्मी गणेश की पूजा भी की जाती है, जिसके बाद मिट्टी के बनाए बर्तन में प्रसाद चढ़ाए जाते हैं। साथ ही, पूरे घर को दिए से सजा दिया जाता है। ऐसे में भगवान राम की तपस्थली चित्रकूट में भी बड़े धूमधाम से दिपो का त्योहार (दिवाली) मनाया जाता है। बता दें कि लोग यहां पर स्थित मंदाकिनी नदी में पहुंच रहे हैं। दरअसल, चित्रकूट में धनतेरस के दिन से ही दूर-दूर से श्रद्धालु पहुंचने लगते हैं और यहां की पवित्र नदी में स्नान कर अपने परिवार के सुख और स्मृधि की कामना करते हैं और भगवान कामतानाथ के दर्शन कर कामदगिरि पर्वत की परिक्रमा भी लगाते हैं। इस पांच दिन चलने वाले इस मेले में देशभर से भक्तगण पहुंचते हैं। वहीं, इस वर्ष दो साल बाद एक बार फिर भक्तों की काफी भीड़ देखने को मिल रही है।
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भीड़ को देखते हुए पूरे शहर में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। बता दें कि मंदिर से लेकर नदी तक हजारों की संख्या में पुलिस बल तैनात हो गए हैं। इतना ही नहीं, सुरक्षा की दृष्टि से शहर के चारों तरफ की सीमाएं सील कर दी गई हैं। पूरे शहर में चप्पे-चप्पे पर पुलिस बल तैनात है जो कि लगातार चेकिंग अभियान चला रही है। नगर में आने वाले सभी गाड़ियों की चेकिंग की जा रही है, रेलवे स्टेशन पर आने वाले यात्रियों के सामान की तलाशी लेने के बाद ही उन्हें प्रवेश करने दिया जा रहा है।
दरअसल, चित्रकूट में रोशनी के त्यौहार का विशेष महत्व है। यहां पर लोगों की मान्यता है कि भगवान श्री राम ने माता सीता और लक्ष्मण जी के साथ यहां पर 11 साल वनवास काल व्यतीत किए थे। जिनसे मिलने भरत, माता कौशल्या के साथ अयोध्या से चित्रकूट धाम पहुंचे थे और यहीं से रावण माता सीता का हरण कर ले गए थे। वहीं, लोगों की मान्यता है कि उनके प्रसाद के रूप में कामदगिरि के चार प्रवेश द्वारों पर कामतानाथ स्वामी विराजमान हैं। केवल इतना ही नहीं, भगवान राम ने रावण का वध करने के बाद जब अयोध्या लौट रहे थे। इसी कड़ी में भगवान चित्रकूट में ऋषि-मुनियों के साथ मंदाकिनी नदी में दीपदान किया था। तब से इस पुरातन पौराणिक परंपरा का यहां आस्था और उत्साह के साथ निर्वहन किया जा रहा है। मान्यता है कि कार्तिक अमावस्या पर यहां दीपदान करने से प्रभु कृपा प्राप्त होती है। सभी पाप मिट जाते हैं।
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दीपोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं…