वेलडन सतना पुलिस…वाकई इनसे सीखने की जरूरत है

Pooja Khodani
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सतना

सतना, पुष्पराज सिंह बघेल। कोरोना काल में प्रोटोकॉल का कैसे पालन किया जाता है, इसका उदाहरण सतना जिले की पुलिस (Satna Police) ने पेश किया है। एक वीवीआईपी (VVIP) के अंतिम संस्कार के लिए पूरे सम्मान के साथ अंतिम संस्कार करा और प्रोटोकॉल का पालन कर सतना जिले की पुलिस ने एक मिसाल पेश की है।

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दरअसल, सोमवार की शाम सतना जिले के रैगांव से भाजपा विधायक जुगल किशोर बागरी (BJP MLA Jugal Kishore Bagri) का भोपाल के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया था। पांच बार विधायक रहे और उमा भारती सरकार (BJP Government) में मंत्री रहे बागरी कोरोना से पीड़ित थे और पहले सतना और बाद में भोपाल में उनका लंबा इलाज चला। लेकिन संक्रमण फेफड़ों तक पहुंच गया और अंततः उन्हें नहीं बचाया जा सका। आज उनका अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ सतना जिले में होना था जिसके लिए उनका पार्थिव शरीर पैतृक निवास ले जाया गया।

आमतौर पर ऐसे ही वीवीआईपी के अंतिम संस्कार में भारी भीड़ जुटती है और क्योंकि बागरी उस क्षेत्र में काफी लोकप्रिय थे, इसलिए इस बात की पूरी संभावना थी कि उनके अंतिम संस्कार में हजारों की तादाद में लोग एकत्र हो। लेकिन इस बात की चिंता सतना जिले के पुलिस अधीक्षक धर्मवीर यादव (Satna SP) ने की। उन्होंने न केवल आम जनता से अपील की कि वे प्रोटोकॉल नियमों का पालन करते हुए घर पर रहकर ही जननायक को श्रद्धांजलि दें, बल्कि उसके साथ ही उन्होंने स्व. बागरी के परिजनों को भी इस बात के लिए तैयार किया कि वह निर्धारित संख्या से ज्यादा लोगों को एकत्र ना करें।

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अंतिम संस्कार के समय निर्धारित संख्या से कम लोग ही उपस्थित हुए और पीपीई किट (PPE Kit) पहनकर कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करते रहे। इस तरह सतना की पुलिस ने एक नई मिसाल कायम की है। अभी हाल ही में प्रदेश के एक पूर्व मंत्री का निधन हो गया था और उनके अंतिम संस्कार में हजारों लोग जुटे थे जिसमें कोरोना प्रोटोकॉल की धज्जियां उड़ाई गई थी। इसी के साथ एक धर्मगुरु के अंतिम संस्कार में हजारों लोगों ने कोरोना प्रोटोकॉल को तोड़ते हुए भाग लिया था जिस पर मामला भी दर्ज हुआ था। ऐसे में सतना की पुलिस ने जिस समझबूझ के साथ पूर्व मंत्री जी का अंतिम संस्कार कराया वह वास्तव में काबिले तारीफ है।


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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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