Scientist Tarun Singh : पूरा देश चंद्रयान की सॉफ्ट लेंडिंग से गौरवान्वित है। भारत ने चांद पर इतिहास रचा है। भारत चांद की दक्षिणी सतह पर उतरने वाला पहला देश बन चुका है। इसके पीछे इसरो के सभी साइंटिस्ट का अहम योगदान रहा है। वहीं एमपी के रीवा के रहने वाले साइंटिस्ट तरुण सिंह चंद्रयान 3 की सफलता में बहुत बड़ा योगदान रहा है।
दरअसल, इसरो ने उन्हें 4 साल से एक बड़ी जिम्मेदारी सौंपी थी जिसमें वह सफल रहे। जी हां, तरुण सिंह की ही निगरानी में चंदायन से तस्वीरें इसरो को मिल रही है। उनके इस अहम किरदार ने देशभर में उनका नाम रोशन कर दिया है। चलिए जानते हैं मध्यप्रदेश के रीवा के रहने वाले तरुण सिंह के बारे में विस्तार से –
ऐसा रहा Scientist Tarun Singh का गांव से इसरो तक का सफर
साइंटिस्ट तरुण सिंह विंध्याचल के रीवा जिले के रहने वाले हैं। उन्होंने पूरे मध्य प्रदेश का नाम रोशन किया है। वह इसरो के सीनियर साइंटिस्ट है। उन्होंने एक छोटे से गांव इटोरा गढ़ में रहकर पढ़ाई की है। तरुण सिंह की शुरुआती शिक्षा इसी गांव से हुई है, बाद में 12वीं तक की पड़ी उन्होंने रीवा के सैनिक स्कूल से की। उसके बाद उन्होंने इंदौर के एसजीएसआइटीएस से मैकेनिकल इंजीनियर की पढ़ाई की।
पढ़ाई पूरी होने के बाद उन्होंने इसरो को ज्वाइन कर लिया था। सबसे पहले उन्हें तिरुवंतपुरम में ज्वाइनिंग मिली थी लेकिन कुछ कारणों की वजह से उनका अहमदाबाद में तबादला कर दिया गया। ऐसे में वह पिछले 4 सालों से अहमदाबाद में ही है। उन्होंने वहीं से चंद्रयान 3 के मिशन का काम किया जिसमें वह सफल रहे।
इसरो ने तरुण सिंह को पेलोड क्वालिटी इंश्योरेंस की जिम्मेदारी सौंपी थी। यह लैंडर चंद्रयान पर लगाया गया है जिसमें कैमरा भी है। यह कैमरा वहां की तस्वीर खींचकर डाटा इसरो को भेज रहा है। इसकी पूरी निगरानी तरुण सिंह के द्वारा की जा रही है।