सीहोर, अनुराग शर्मा। जिला के शाहगंज पुलिस ने बड़ी कार्रवाई को अंजाम देते हुए मोबाइल चोरों के बड़े गिरोह का पर्दाफाश करते हुए आरोपियों को गिरफ्तार करने में सफला हासिल की है। दरअसल सीहोर के एसपी शशीन्द्र सिंह चौहान द्वारा जिले में सम्पत्ति संबंधी अपराधों में आरोपियों की धरपकड़ एवं मशरूका बरामद करने के निर्देश दिये गये गये थे। इसी क्रम में थाना शाहगंज पुलिस ने मोबाइल चोर गिरोह का पर्दाफाश कर 29 मोबाइल फोन जिनकी अनुमानित कीमती चार लाख रूपये है उन्हे जब्त कर लिया है। साथ ही मोबाइल चोरी में लिप्त 3 आरोपियों को गिरफतार करने में भी सफलता प्राप्त की हैं ।
थाना प्रभारी शाहगंज नरेन्द्र कुलस्ते को मुखबीर से सूचना प्राप्त हुई कि कुछ लोग थाना शाहगंज क्षेत्र में चोरी के मोबाइल बेचने की फिराक के घूम रहे हैं । उक्त सूचना की तस्दीक एवं कार्रवाई करते हुए पुलिस अधीक्षक सीहोर एसएस चौहान ने अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सीहोर समीर यादव एवं एसडीओपी शंकर सिंह पटेल के मार्गदर्शन में निरीक्षक नरेन्द्र कुलस्ते थाना प्रभारी शाहगंज के नेतृत्व में टीम गठित की थी । गठित टीम द्वारा सूचना के आधार पर बुदनी निवासी संजू अहिरवार पिता रेवती अहिरवार 20 साल, सचिन कटारे पिता रामदास कटारे 19 साल एवं संदीप अहिरवार पिता रेवती अहिरवार 19 साल को घेराबंदी कर पकड़ा लिया । तीन आरोपियों को गिरफतार कर उनके कब्जे से विभिन्न कम्पनियों के 29 नग मोबाइल कीमती 04 लाख रूपये के जब्त किये गये हैं , वहीं गिरोह का एक सदस्य अनिकेत फरार हैं जिसकी तलाश के प्रयास जारी हैं।
पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।
इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।