यहां किसानों ने किया अनोखा प्रदर्शन, सीने पर रखी खराब सोयाबीन की फसल

सीहोर, अनुराग शर्मा। गुरूवार को ग्राम आवलीखेड़ा के किसानों ने कलेक्ट्रेट परिसर में पीठ के बल लेटकर सीने पर खराब हुई सोयाबीन के पौधे रखकर अनोखा प्रदर्शन किया। किसानों ने पसीना बहाकर बोई गई खराब हो चुकी सोयाबीन की फसल को सीने पर रखकर सरकार को जगाने का प्रयास किया। किसानों ने कहा कि खेतों में बोवनी में हजारों रूपये खर्च हुए।

पहले बरसात नहीं हुई तो फसल में पीला रोग लग गया, जिसके बाद तेज बारिश ने खेत में बर्बादी से बची फसल को भी नष्ट कर दिया। सोयाबीन की फलियां भी गिर गई जिस फसलों को काफी नुकसान हुआ। किसानों ने सरकार से जल्दी सर्वे कराने और मुआवजा राशि देने की मांग की। डिप्टी कलेक्टर को ज्ञापन देने वालों में सीताराम राठौर, ज्ञान सिंह, प्रहलाद सिंह, घनश्याम पटेल, रामलाल, कमल सिंह बघेल, बेर सिंह मंडलोई ओमप्रकाश ,राजेश वर्मा, श्रीकिशन राठौर, अभिषेक ठाकुर, जसरथ गौर आदि शामिल रहे।


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Gaurav Sharma

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।