सीहोर, अनुराग शर्मा। कोरोना महामारी में ऑक्सीजन(Oxygen) की उपलब्धता को लेकर जिस तरह परेशानी हुई उसे सरकार ने अच्छे से मैनेज किया और भविष्य में प्रदेश के अस्पतालों में मरीजों के लिए पर्याप्त ऑक्सीजन रहे इसकी व्यवस्था भी की और नए ऑक्सीजन प्लांट लगाने के लिए राशि उपलब्ध कराई साथ ही प्लांट का उद्घाटन भी किया लेकिन अधिकारियों की लापरवाही के चलते कुछ अस्पताल ऐसे हैं जहाँ बने ऑक्सीजन प्लांट (Oxygen plant)उद्घाटन के दो महीने बाद भी शुरू नहीं हो सके हैं।
कोरोना की तीसरी संभावित लहर (third wave of corona) और नए वैरिएंट ओमिक्रॉन (New Variants Omicron) को देखते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (CM Shivraj Singh Chauhan) ने अधिकारियों को अलर्ट रहने के निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री ने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को सभी व्यवस्थाएं चक चौबंद रखने के विशेष निर्देश दिए हैं लेकिन उनके ही गृह जिले के स्वास्थ्य अधिकारियों को मुख्यमंत्री के निर्देश की परवाह नहीं है।
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सीएम शिवराज के गृह जिले में जिला अस्पताल परिसर में पीएम केयर फंड से निर्मित ऑक्सीजन प्लांट शुरू होने की बात जोह रहा है । 17 सितंबर को जिला अस्पताल परिसर में 133 लाख रुपए की लागत और एक हजार लीटर प्रति मिनट क्षमता के ऑक्सीजन प्लांट का उद्धघाटन सीएम शिवराज सिंह चौहान ने किया था। लेकिन दो महीने बीत जाने के बाद भी यह ऑक्सीजन प्लांट शुरू नहीं हो सका। ऐसे में प्लांट की उपयोगिता निरर्थक साबित हो रही है।
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जिला अस्पताल प्रबंधन ने जल्दबाजी में ऑक्सीजन प्लांट का उद्घाटन तो करा लिया लेकिन इसको चालू करने को लेकर गंभीर नजर नहीं आ रहा है। इस संबंध में जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ अशोक मांझी का कहना है कि कुछ दिन पहले ऑक्सीजन की शुद्धता की जांच हुई है, जो 93% हैं। गुडगांव से लगभग पंद्रह दिन में लेटर आएगा उसके बाद ऑक्सीजन प्लांट चालू होगा।