सीहोर।अनुराग शर्मा।
मिलावटखोरों पर नकेल कसने के लिए प्रदेश सरकार शुद्ध के लिए युद्ध अभियान चला रही है। ड्रग इंस्पेक्टर की अरूची के चलते जिले में यह अभियान सुस्त पडा हुआ है। जबकि मुख्यमंत्री कमलनाथ और जिले प्रभारी मंत्री आरिफ अकील ने अधिकारियों को मिलावटखोरों के खिलाफ सख्ती के निपटने के निर्देश दिए थे। जिले में इन निर्देशों की अनदेखी कर अधिकारी मनमानी पर उतारु हैं। जबकि बात करें तो जिले में ड्रग माफिया सक्रिय है जो नियमों को ताक पर रखके प्रतिबंधित दवाओं को खुलेआम मेडिकलों पर बेच लोगों की जिंदगी से खिलवाड कर रहे हैं।
ड्रग माफियाओं पर कार्यवाही के निर्देश जारी होने के बाद से अभी तक केवल ड्रग इंस्पेक्टर द्वारा सिर्फ 15 मेडिकल दुकानों का ही निरीक्षण किया। जबकि जिले में 350 से अधिक मेडिकल दुकानें संचालित हो रही हैं और जनरल और किराना दुकानों पर भी धडल्ले से मेडिसन की बिक्री की जा रही है। ऐसे में ड्रग इंस्पेक्टर की कार्यप्रणाली पर अब सवाल उठने लगे हैं।
नींद की दवाओं का रिकार्ड गायब, बिक रही गर्भपात की दवाएं
गर्भपात और नींद की दवाएं बिना डाक्टर के परामर्श के ग्राहक को नहीं बेची जा सकती, इसका रिकार्ड मेडिकल संचालक को जिला मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को प्रतिमाह भेजना आवश्यक है। निमयों की अनदेखी कर अनेकों मेडिकल संचालक बिना किसी रोकटोक से संचालक इन दवाओं का विक्रय कर रहे हैं, अभियान के तहत बीते माह ड्रग इंस्पेक्टर किरन मगरे द्वारा मेडिकल दुकानों का निरीक्षण किया गया तो बडी खामिया उजागर हुई।डाक्टर कालोनी स्थित वेंकटेश मेडिकल स्टोर पर निरीक्षण के दौरान नशे की दवाओं का रिकार्ड उपलब्ध नहीं था तो फार्मासिस्ट भी इस दौरान गायब रहा। जिसे विभाग द्वारा पांच दिन दुकान बंद रखने का नोटिस गया गया लेकिन दुकानदार द्वारा समयवधि से पहले ही दुकान खोलकर दवा विक्रय करते देखा गया। ग्राम झरखेडा में लिखितकार अरोग्य मेडिकल पर निरीक्षण के दौरान फार्मासिस्ट मौजूद नहीं था। जिस पर पांच दिन के लिए लाईसेंस निलंबन की कार्यवाही की गई।
दुकानों की जांच की जा रही है
ड्रग इंस्पेक्टर किरन मगरे का कहना है कि मेडिकल स्टारों का निरीक्षण चल रहा है। दवाओं का क्रय-विक्रय रिकार्ड और अन्य बिंदुओं पर जांच हो रही है। दो दुकानों पर निलंबन की कार्यवाही की गई है।