सीहोर ।अनुराग शर्मा।
30 वर्ष की उम्र में लकवे के चलते उमा के दोनों पैर और एक हाथ ने काम करना बंद कर दिया इस मुश्किल घड़ी में उमा ने हार नही मानी अपने मजबूत होसलो ओर द्र्ढ इच्छाशक्ति के चलाते उमा ने अपनी अपंगता को आड़े नही आने दिया पति की मजदूरी से जो आय होती थी उससे अपना ओर अपने दोनों बच्चो का पेट भरना मुश्किल था हिम्मत और साहस के बल पर उमा ने टाइपिंग सीखना शरू किया और वर्ष 2013 में तात्कालिक कलेक्टर कवींद्र कियावत ने उमा को कलेक्ट्रेट कार्यलय के प्रांगण में आवेदन टाइप करने की अनुमति प्रदान की
बस टाइपिंग के सहारे उमा ने अपने जीवन यापन का जो सिलसिला 2013 में शरू किया वो अभी तक अनवरत जारी है उमा जिस मुश्किल ओर विपरीत पस्थितियों के बीच घर से कलेक्टर कार्यालय तक आती जाती थी उसे देखकर नगर के दो समाजसेवियों ने उमा को इलेक्ट्रनिक तीन पहिया वाहन भेट कर उमा की इस मुश्किल को कुछ हद तक दूर किया उमा को अभी तक किसी भी शासकीय योजना का लाभ नही मिला है दिन भर टाइपिंग कर उमा प्रतिदिन 150 से 200 रुपए तक ही कमा पाती है उमा को टाइपिंग करते करते तकरीबन 7 साल हो गए है उमा जब टाइप राइटर पर अपनी उंगली चलाती है तो देखने वाले दांतो तले उंगली दबा लेते है उमा की टाइपिंग स्पीड 70 शब्द प्रतिमिनिट की है उमा के इस साहस के फलस्वरूप आज उमा अपने परिवार का पालन पोषण तो कर ही रही है साथ ही साथ दूसरी महिलाओं दे रहे है प्रेरणा।