टमाटर ने करा दी लड़ाई, पत्नी ने छोड़ा घर, पति पहुंचा पुलिस के पास 

Atul Saxena
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MP News : बढ़ती महंगाई के बीच टमाटर की महंगी कीमतों ने जहां खाने का स्वाद बिगाड़ दिया है, रसोईघर का बजट बिगाड़ दिया वहीं अब रिश्तों को भी बिगाड़ रहा है, ताजा मामला मध्य प्रदेश के शहडोल जिले के एक गाँव का है, यहाँ एक पति पत्नी के बीच टमाटर को लेकर झगड़ा हो गया, झगडा बढ़ गया तो पति से नाराज होकर पत्नी घर छोड़कर चली गई, उधर पति पुलिस थाने पहुँच गया और पत्नी का पता लगाने की पुलिस से उसने गुहार लगाई।

टमाटर ने घोली पति पत्नी के रिश्तों में खटास 

क्या आपने कभी सुना है कि पति पत्नी के बीच लड़ाई का कारण सब्जी हो सकती है? जी हाँ ये सच है, देश की राजनीति को सुर्ख कर देने वाला और जनता को गुस्से से लाल कर देना वाला टमाटर अब रिश्तों में खटास भी घोल रहा है, मामला शहडोल जिले के गाँव बेम्हौरी गांव का है, यहाँ रहने वाले संजीव वर्मा पत्नी के साथ मिलकर छोटा से ढाबा और टिफिन सेंटर चलाते हैं।

बिना पूछे पति ने सब्जी में डाले 2 टमाटर, पत्नी ने छोड़ा घर 

घटनाक्रम तीन दिन पुराना है जब टिफिन बनाते समय संजीव ने पत्नी से पूछे बिना सब्जी में दो टमाटर डाल दिए, पत्नी ने जब ये देखा तो वो आग बबूला हो गई, दोनों के बीच झगड़ा होने लगा, पत्नी के कहा टमाटर महंगा है थोडा सा डालना था, दोनों में बहस होने लगी तो पति ने उसे डांट दिया जिससे नाराज होकर वो अपनी बेटी को लेकर घर छोड़कर चली गई ।

गुमशुदगी दर्ज कराने पुलिस थाने पहुंचा पति 

संजीव ने सोचा पत्नी गुस्से में बाहर कहीं चली गई होगी अभी आ जाएगी, लेकिन जब पत्नी कई घंटों तक वापस नहीं लौटी तो संजीव पुलिस के पास पहुँच गया, संजीव ने धनपुरी थाने में पत्नी की गुमशुदगी का आवेदन दिया, पुलिस ने जब उससे पूरी बात सुनी फिर कहा कि हम पता लगाते हैं।

पुलिस ने नाराज पत्नी से बात कर मामला सुलझाया 

पुलिस ने संजीव की पत्नी से फोन पर बात की तो उसने बताया कि वो बहन के घर है,  पुलिस ने बताया कि पति पत्नी के बीच सामान्य झगड़ा है, संजीव थोड़ा सनकी मिजाज का है, इनके बीच होने वाले सामान्य झगड़े में टमाटर वाली बात भी आ गई जिससे नाराज होकर वो बहन के घर चली गई है उसने जल्दी वापस आने  की बात कही है, पत्नी से फोन पर बात हो जाने के बाद पुलिस ने गुमशुदगी के आवेदन पर कोई कार्रवाई नहीं की।


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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