वर्दी छोड़ भगवा पहन शहर में निकले थानेदार साहब, हाथ में त्रिशूल और कमंडल बना आकर्षण

Atul Saxena
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police officer in saffron

MP News : कल 22 जनवरी 2024 को पूरा देश राममय था, क्या सरकार क्या संतरी? सभी राम के आनंद और भगवा के रंग में रंगे थे, भाव और भक्ति से सराबोर देश रामलला की भक्ति में डूबा था, मध्य प्रदेश भी इससे अछूता नहीं था, यहाँ भी राम भक्त  पूजापाठ , भजन कीर्तन , भंडारों का आनंद ले रहे थे और रामलला के स्वागत में नाच गा रहे थे लेकिन एक थानेदार साहब ने जो किया वो चर्चा का विषय बन गया है और इस समय सोशल मीडिया पर छाया हुआ है।

जब खाकी पर चढ़ा भगवा रंग 

दरअसल ये खबर मध्य प्रदेश के शाजापुर जिले के मक्सी नगर की है, यहाँ भी कल सोमवार को राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह की धूम रही, लोग जहाँ अयोध्या राम मंदिर में विराजे रामलला की मूर्ति को निहार रहे थे वहीँ उन्होंने सड़क पर जो द्रश्य देखा वो वहीँ ठिठक गए। अचानक से मक्सी के थानेदार साहब पुलिस की खाकी वर्दी की जगह भगवा रंग में रंगे दिखाई दिए।

एक हाथ में त्रिशूल, दूसरे में कमंडल, माथे पर चंदन लगाये दिखे थानेदार साहब 

मक्सी के थानेदार भीमसिंह पटेल 22 जनवरी को भगवा में रंगे झूमते दिखाई दिए, शरीर पर भगवा धोती और पटका, एक हाथ में त्रिशूल, दूसरे में कमंडल, माथे पर चंदन और आँखों पर चश्मा लगाए साधु वेश धारण किये थानेदार साहब रास्ते में आशीर्वाद देते और जय श्रीराम का उद्घोष करते जा रहे थे, उनके साथ उनके थाने का स्टाफ बंदूक लिए चल रहा था और कुछ अन्य लोग मंजीरे बजाते चल रहे थे।

टी आई साहब का साधु वेश बना चर्चा का विषय  

अचानक थानेदार साहब का ये रूप देखकर मक्सी की जनता आश्चर्य में पड़ गई , लोगों ने उनकी वीडियो बनाई और सोशल मीडिया पर वायरल कर दी। जब लोगों ने थानेदार साहब से इस वेशभूषा का कारण पूछा तो उन्होंने कहा कि मक्सी में भी प्राण प्रतिष्ठा के आयोजन हो रहे है , मैं भी दो तीन जगह शामिल हुआ था पंडित जी ने मुझे भगवा वस्त्र पहनकर आने की सलाह दी थी इसलिए पहने हैं, यहाँ लोग भंडारे और भजन कीर्तन का आनंद ले रहे हैं।


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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