श्योपुर, डेस्क रिपोर्ट। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) ने आज अपने जन्मदिन पर मध्य प्रदेश को एक खास तोहफा दिया जिसने इतिहास बना दिया। पीएम ने श्योपुर के कूनो नेशनल पार्क (Kuno National Park Sheopur) में आज तीन चीतों को बाड़े में छोड़कर चीतों के एक फिर बसाहट के रास्ते खोल दिए। ये चीते नामीबिया से विशेष विमान से आये हैं। कूनो नेशनल पार्क में पीएम का एक खास अंदाज भी दिखाई दिया। उन्होंने मैकेनिकल पुली से चीतों को उनके लिए बनाये विशेष बाड़े (क्षेत्र) में छोड़ा और उसके बाद कैमरा हाथ में लेकर उससे फोटोग्राफी भी की।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने दो बाड़ों में चीते छोड़े। पहले बाड़े में दो नर चीते छोड़े और फिर दूसरे बाड़े में एक मादा चीता को छोड़ा। और मिशन चीता (Mission Cheetah) की शुरुआत भारत के लिए कर दी। आपको बता दें कि नामीबिया से विशेष कार्गो विमान आठ चीतों को लेकर ग्वालियर के महाराजपुरा एयरपोर्ट पर आज 17 सितमबर को सुबह पहुंचा (Eight cheetahs from Namibia arrived in India)। एयरपोर्ट पर मौजूद केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपनी निगरानी में सभी चीतों को विमान से सेना के हेलीकाप्टर में शिफ्ट कराकर कूनो नेशनल पार्क श्योपुर शिफ्ट कराया। इस पूरे काम के विशेष रूप से प्रशिक्षित दल ने किया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी आज सुबह 17 सितम्बर को वायुसेना के विशेष विमान से ग्वालियर एयरपोर्ट पहुंचे। एयरपोर्ट पर मध्य प्रदेश के राज्यपाल मंगुभाई पटेल एवं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रधानमंत्री का आत्मीय स्वागत किया। इस मौके पर प्रदेश के गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्र, जल संसाधन मंत्री एवं जिले के प्रभारी मंत्री तुलसीराम सिलावट सहित अन्य जन प्रतिनिधि एवं प्रशासनिक अफसर मौजूद थे।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कुछ देर रुकने के बाद हेलीकाप्टर से कूनो नेशनल पार्क (Kuno National Park MP)के लिए रवाना हो गए जहाँ उन्होंने बहुप्रतीक्षित चीता परियोजना का शुभारम्भ किया। पीएम मोदी ने तीन चीतों को उनके लिए बनाये गए विशेष बाड़ों में छोड़ा। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ राज्यपाल मंगुभाई पटेल, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया , केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर सहित राज्य सरकार के कई मंत्री मौजूद थे। चीतों को बाड़े में छोड़ने के बाद प्रधानमंत्री ने चीता मित्रों से भी बात की।
पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....
पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....