Lokayukta action: नामांतरण में नाम बदलवाने पटवारी ने ली रिश्वत, लोकायुक्त पुलिस ने रंगे हाथ दबोचा

सरकार रिश्वतखोरों पर लगातार कार्रवाई कर रही है लेकिन कुछ शासकीय कर्मचारी अधिकारी ऐसे हैं जिनके लिए रिश्वत लेना उनकी आदत बन गई है लेकिन एजेंसियां ऐसे शासकीय सेवकों पर सख्त एक्शन ले रही हैं। 

Lokayukta action: रिश्वतखोरों पर लगातार हो रही कार्रवाई के बावजूद शासकीय सेवक घूसखोरी से बाज नहीं आ रहे, आज एक बार फिर रिश्वतखोर पकड़ में आया है, लोकायुक्त पुलिस ग्वालियर की टीम ने शिवपुरी के खनियांधाना में एक पटवारी को रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार किया हैं।

मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के स्पष्ट निर्देश हैं कि कोई भी रिश्वत लेते, भ्रष्टाचार करते मिले उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाये, लोकायुक्त पुलिस मुख्यमंत्री के आदेश का लगातार पालन कर रही है और रिश्वतखोरों को रंगे हाथ पकड़ रही है।

पटवारी ने मांगी 10 हजार रुपये की रिश्वत 

लोकायुक्त पुलिस ग्वालियर एसपी राजेश मिश्रा से मिली जानकारी के मुताबिक शिवपुरी जिले के खनियांधाना  में रहने वाले हनुमंत सिंह नामक ग्रामीण ने ऑफिस में आकर एक शिकायती आवेदन दिया जिसमें पटवारी पर 10 हजार रुपये की रिश्वत मांगे जाने के आरोप लगाये।

नामांतरण में नाम सुधरवाने मांगी रिश्वत 

आवेदक हनुमंत ने बताया   उसने  नामांतरण में नाम सुधार के लिय तहसील कार्यालय में आवेदन  दिया वहां पदस्थ पटवारी इसके बदले मे 10000 रुपये की मांग कर रहा है, शिकायत के बाद एसपी ने इसका सत्यापन कराया जिसमें पटवारी मनोज निगम द्वारा 10000 रुपये की रिश्वत मांगे जाने की पुष्टि हुई।

रिश्वत की राशि एक साथ आवेदक को पहुंचाया पटवारी के पास 

पुष्टि होने के बाद लोकायुक्त ने एक ट्रैप दल गठित किया और आज खानियांधाना भेजा , तय समय पर ग्वालियर लोकायुक्त पुलिस की टीम आवेदक के साथ खनियांधाना स्थित आरोपी पटवारी मनोज निगम के घर के पास पहुंच गई और छिप गई, टीम ने आवेदक को 3000 रुपये की पहली क़िस्त के साथ पटवारी के पास भेजा।

3000 रुपये हाथ में लेते ही लोकायुक्त ने रंगे हाथ पकड़ा   

लोकायुक्त पुलिस द्वारा दी गई समझाइश के तहत आवेदक हनुमंत सिंह ने रिश्वत की राशि 3000 रुपये पटवारी को दिया और इशारा कर दिया, इशारा मिलते ही लोकायुक्त ग्वालियर पुलिस की टीम अन्दर घुस आई और पटवारी मनोज निगम को रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया, लोकायुक्त ने आरोपी पटवारी के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं में मामला दर्ज कर जाँच शुरू दी है।


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Atul Saxena

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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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