खानियाधाना में रेजांगला शौर्य दिवस पर दी बलिदानियों को श्रद्धांजलि अर्पित की

खानियाधाना, शिवम पाण्डेय|  महाराणा प्रताप की प्रतिमा पर यादव समाज के लोगों ने रेजांगला शौर्य दिवस मनाया गया। सुरेंद्र यादव शिक्षक ओर ब्रजेश यादव पटवारी ने दीप प्रज्ज्वलित कर बलिदानियों को श्रद्धांजलि दी। इस अवसर पर सुरेन्द्र यादव शिक्षक ने कहा की 18 नवंबर, 1962 में भारत और चीन के मध्य युद्ध रेजांगला के एक दर्रे पर हुआ, जहां से चुशूल की घाटी में प्रवेश मिलता है। इस युद्ध में भारतीय सैनिकों की संख्या बेहद कम थी, लेकिन जिस हौशले और जाबाजी का परिचय भारत के वीरों ने दिया, उसे देख चीनी सेना के होश उड़ गए। इस युद्ध में भारत मां के कई बेटे शहीद हो गए। आज यादव समाज ने ऐसे ही भारत माता के सपूतों और इस युद्ध में शहीद हुए अहीर वीरों को को याद कर श्रद्धांजलि दी युवाओं को समय- समय पर अपने पूर्वजों को याद करना चाहिए। क्योंकि हमारे देश के वीर जवान प्राणों का बलिदान देकर अपने देश की रक्षा कर रहे है।

पटवारी ब्रजेश यादव ने कहा कि सैनिकों की शौर्य गाथा का बखान करते हुए कहा कि भारत-चीन युद्ध के दौरान कुमाऊं की चार्ली कंपनी के 114 जवानों ने अंतिम गोली एवं अंतिम जवान तक लड़कर विजय प्राप्त करके वीरगति पाई थी। उन वीर बलिदानियों की याद में हर वर्ष रेजांगला शौर्य दिवस मनाया जाता है। उन्होंने कहा कि भारतीय सेना के जवानों की देशभक्ति के जज्बे एवं अद्वितीय साहस का दुश्मन भी लोहा मानते हैं भारतीय सेना में जातिवाद मचा हुआ है भारतीय सेना में जातिवाद खत्म होना चाहिए अहीर रेजिमेंट का गठन होना चाहिए नहीं तो सभी रेजिमेंट खत्म करना चाहिए
साथ ही राजीव यादव ने बताया कि पूर्व कमांडेंट शंकर सिंह यादव, कै. बीरेसिंह यादव और सूबेदार रतन लाल यादव ने सैनिक शैली में सेल्यूट देकर शहीदों का सम्मान किया। प्रो. अनिरुद्ध यादव ने याद दिलाया की भारत-चीन युद्ध में रेजांगला मोर्चे पर कुमाऊं रेजिमेंट की 13 बटालियन के 114 जवान शहीद हुए थे। इनमें अधिकतर जवान अहीरवाल क्षेत्र के सपूत थे।


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न्यूज डेस्क, Mp Breaking News

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