डकैत समझकर Kuno National Park की Cheetah ट्रैकिंग टीम पर ग्रामीणों ने किया हमला, गाड़ी में तोड़फोड़, तीन वनकर्मी घायल

Atul Saxena
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Kuno National Park : कूनो नेशनल पार्क एक बार फिर चर्चा में है, “चीता” की पुनः बसाहट के बाद देश के लोगों की निगाहों में तेजी से आया कूनो नेशनल पार्क पिछले दो महीने से 6 चीतों की मौत के चलते चर्चा में है, मरने वालों में तीन वयस्क और चीते और तीन भारत में जन्मे शावक शामिल हैं, लेकिन आज इसकी चर्चा अलग कारण से हो रही है, चर्चा का कारण कूनो नेशनल पार्क की टीम पर ग्रामीणों का हमला है।

जानकारी के मुताबिक कूनो नेशनल पार्क की मादा चीता “आशा” बार बार नेशनल पार्क से बाहर निकल जाती है लेकिन इसके गले में लगी ट्रैकिंग डिवाइस (जीपीएस) की मदद से कूनो नेशनल पार्क की टीम इसे वापस नेशनल पार्क की सीमा में ले आती है है।

एक बार फिर बीती रात करीब 12 बजे मादा चीता आशा कूनो नेशनल पार्क की सीमा से बाहर शिवपुरी की तरफ निकल गई, ट्रैकिंग डिवाइस से उसे ट्रेक कर रही नेशनल पार्क की टीम उसे जंगल में तलाश रही है, वन विभाग की टीम शिवपुरी जिले के पोहरी थाने के गाँव बूराखेड़ा से गुजरी तो ग्रामीणों ने टीम पर हमला कर दिया।

दरअसल बताया ये जा रहा है कि वन विभाग की टीम के सदस्यों ने इस गाँव के आसपास तीन चार चक्कर लगाये, ग्रामीणों को शक हुआ कि कहीं डकैत या कोई मवेशी चोर तो नहीं हैं क्योंकि पिछले दिनों यहाँ मवेशी चोरी की घटनाएँ हो चुकी हैं, डकैत मूवमेंट भी कभी कभी रहता है , यही समझते हुए ग्रामीणों ने वन विभाग की टीम पर हमला कर दिया।

ग्रामीणों ने वन कर्मचारियों को लाठियों से पीटा, मारपीट की और पत्थर मारकर उनके सरकारी वाहन में तोड़फोड़ कर दी।ग्रामीणों ने हवाई फायर भी किये। वन कर्मियों ने जैसे तैसे अपनी जान बचाई और अपने अधिकारियों को सूचना देकर पोहरी पुलिस थाने को सूचना दी, वनकर्मियों की शिकायत पर पुलिस ने ग्रामीणों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है ।

कूनो नेशनल पार्क के डीएफओ प्रकाश वर्मा ने एमपी ब्रेकिंग न्यूज़ से बात करते हुए बताया कि मादा चीता आशा गुरुवार को शिवपुरी जिले के पोहरी के जंगल तक पहुँच गई थी, उसके गले में लगे रेडियो कॉलर की मदद से हमारी टीम वन रक्षक पवन अग्रवाल के नेतृत्व में उसकी तलाश कर रही थी तभी देर रात ग्रामीणों ने हमला कर दिया, हमले में पवन अग्रवाल और दो एनी वन कर्मी घायल हुए हैं हमने पोहरी पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कर दी है।

 


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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