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Sun, Dec 7, 2025

CM मोहन यादव ने अन्नदाताओं के हित में लिया बड़ा फैसला, लैंड पूलिंग योजना की रद्द, किसानों ने जताया आभार

Written by:Banshika Sharma
मध्य प्रदेश सरकार ने उज्जैन में होने वाले सिंहस्थ 2028 के लिए प्रस्तावित लैंड पूलिंग योजना को निरस्त कर दिया है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने किसान संघ और जनप्रतिनिधियों के साथ बैठक के बाद यह बड़ा फैसला लिया, जिसका उद्देश्य किसानों की भावनाओं का सम्मान करना है।
CM मोहन यादव ने अन्नदाताओं के हित में लिया बड़ा फैसला, लैंड पूलिंग योजना की रद्द, किसानों ने जताया आभार

भोपाल: मध्य प्रदेश सरकार ने उज्जैन में 2028 में होने वाले सिंहस्थ महाकुंभ को लेकर एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने किसानों की आपत्तियों और भावनाओं का सम्मान करते हुए आयोजन के लिए प्रस्तावित लैंड पूलिंग योजना को निरस्त कर दिया है। यह फैसला सोमवार को मुख्यमंत्री निवास पर हुई एक उच्च-स्तरीय बैठक में लिया गया।

इस बैठक में मुख्यमंत्री ने सिंहस्थ के आयोजन को लेकर किसान संघ, भारतीय जनता पार्टी के पदाधिकारियों, उज्जैन के जनप्रतिनिधियों और जिला प्रशासन के अधिकारियों के साथ विस्तृत चर्चा की। बैठक का मुख्य उद्देश्य सिंहस्थ को एक दिव्य, भव्य और विश्व स्तरीय आयोजन बनाना था, जिसमें सभी वर्गों के हितों का ध्यान रखा जाए।

किसानों के सम्मान में बड़ा फैसला

बैठक के दौरान किसान प्रतिनिधियों ने लैंड पूलिंग योजना को लेकर अपनी चिंताएं व्यक्त की थीं। इन चिंताओं पर गहन विचार-विमर्श के बाद मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने किसानों के पक्ष में फैसला लेते हुए योजना को तत्काल प्रभाव से निरस्त करने की घोषणा की। उन्होंने नगरीय प्रशासन विकास विभाग और जिला प्रशासन को इस संबंध में आदेश जारी करने के निर्देश दिए हैं। सरकार का मानना है कि यह कदम किसानों के हितों की रक्षा करेगा।

किसान संघ ने जताया आभार

सरकार के इस निर्णय का किसान संघ ने जोरदार स्वागत किया और मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त किया। बैठक में प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल, किसान संघ की ओर से सर्वश्री महेश चौधरी, कमल सिंह आंजना, अतुल माहेश्वरी, लक्ष्मी नारायण पटेल, भरत बैस और रमेश दांगी शामिल हुए।

विश्व देखेगा सिंहस्थ का वैभव

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि सिंहस्थ का आयोजन ऐतिहासिक हो और पूरी दुनिया इसकी भव्यता को देखे। उन्होंने कहा कि आयोजन की तैयारियों में साधु-संतों, किसानों और स्थानीय निवासियों सहित समाज के हर वर्ग की भावनाओं और सुझावों को प्राथमिकता दी जाएगी।