सिंगरौली, डेस्क रिपोर्ट। दीपावली के त्योहार के मद्देनजर इस बार पूरे मध्यप्रदेश में विभिन्न कलेक्टरों ने पारंपरिक ढंग से दीये, मटके, गमले और कुल्हड़ बनाने वाले लोगों को प्रोत्साहित किया है और इनको संरक्षण देने के साथ-साथ इनसे वसूली न करने के निर्देश भी दिए हैं। सरकार भी वोकल फार लोकल पर ज़ोर दे रही है, लेकिन सिंगरौली में नगर निगम इन आदेशों की जमकर धज्जियां उड़ा रहा है।
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27 अक्टूबर को सिंगरौली के कलेक्टर ने यह आदेश जारी किया है कि दीपावली के पावन पर्व पर स्थानीय कुम्हारों और जिले के अन्य दूर स्थानों से आकर नगर व कस्बों में मिट्टी के दीये, मटके, गमले ,कुल्हड़, गुल्लक और मिट्टी के बर्तन बेचने वालों को प्रोत्साहित किया जाए क्योंकि यह न केवल पर्यावरण के हित में है बल्कि छोटे स्तर पर लोगों को इससे लाभ भी होगा। कलेक्टर ने आदेश में यह भी लिखा है कि इस तरह की शिकायतें आती हैं कि प्रशासन नगर निगम, नगरीय अमला, पुलिस व स्थानीय पंचायतों से इनसे टैक्स शुल्क वसूलता है व इनको परेशान किया जाता है जिससे इन्हें काफी असुविधा होती है। कलेक्टर ने आदेश भी दिया कि इस तरह के लोगों को किसी भी प्रकार से परेशान न किया जाए और इनसे वसूली न करके बल्कि इनसे सामान खरीद कर इन्हें प्रोत्साहित किया जाए।
कलेक्टर ने आदेश तो दे दिया लेकिन अधिकारी मानें तब तो..नगर पालिका निगम सिंगरौली के बाजार बैठकी शुल्क 30 रूपये प्रतिदिन हैं। कलेक्टर ने 27 अक्टूबर को आदेश दिया और 28 अक्टूबर की रसीद देखिए जिसमें बाजार बैठकी शुल्क वसूल कर ली गई। बुधवार को प्रदेश के गृह मंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा ने भी स्थानीय पुलिस से ऐसे लोगों को संरक्षण देने की अपील की थी। लेकिन सिस्टम में बैठे लोग इन आदेशों का मखौल उड़ाते हैं तो जाहिर सी बात है कि गरीब को इसका लाभ कैसे मिलेगा।
MP में CM / Collectors सब ने मौखिक और लिखित आदेश जारी किए कि "दिवाली के मद्देनजर मिट्टी का सामान बेचने वालों से बाज़ार शुल्क ना लिए जाए" पर यह "बहरा" और "थेथर" सिस्टम कहा सुनता हैं। काटेगा ही।
मामला MP के सिंगरौली का। @CollectorSGL @RitiPathakSidhi @CMMadhyaPradesh pic.twitter.com/yc9AIoJHPg
— काश/if Kakvi (@KashifKakvi) October 28, 2021