एनटीपीसी विंध्यनगर की लापरवाही से फिर एक श्रमिक की मौत, तीन दिन बाद लापता श्रमिक का शव मिला

सिंगरौली, राघवेंद्र सिंह गहरवार। एनटीपीसी विंध्यनगर मे श्रमिकों के मौतों का सिलसिला जारी है। एनटीपीसी प्रबंधन श्रमिकों को सुरक्षित रखने में लगभग नाकाम साबित हो रहा है। विगत कुछ महिनों से एक के बाद एक श्रमिकों की जान जा रही है और प्रबंधन सिर्फ खानापूर्ति कर कार्यवाही करने की बात करता आ रहा है। लेकिन मजदूरों की मौत सुरक्षा की हकीकत बयां कर रही हैं कि एनटीपीसी प्रबंधन अपने श्रमिकों के प्रति कितना जवाबदेह है।

एनटीपीसी मे सुरक्षा सिर्फ दिखावा है या यूं कहें कि सुरक्षा सिर्फ कागजों और दीवारों पर लगा देने से पूरी कर ली जाती है। एनटीपीसी की सुरक्षा व्यवस्था चाकचौबंद रही होती तो आज अजीत दूबे, सत्येंद्र उपाध्याय या फिर जगजीवन लाल कुशवाहा की मौत नहीं हुई होती।बता दें कि एनटीपीसी विंध्यनगर मे श्रमिक जगजीवन लाल कुशवाहा साकिन पड़खूड़ी पोस्ट रजमिलान थाना माड़ा का रहने वाला था, जो एनटीपीसी विंध्यनगर में सुनील सिंह कंस्ट्रक्शन मे सफाई का कार्य करता था। 24 जनवरी को सुबह 8 बजे वो अपने ड्यूटी पर गया था जहां उसे एनटीपीसी के साईट इंचार्ज के.एल.श्रीवास्तव व बी.सी.महंता ने कुछ कार्य करने के लिए बोला। लेकिन इसके बाद वो लापता हो गया, जिसकी सूचना उस के परिजनों को कंपनी की तरफ से फोन पर दी गई। इसके बाद परिजनों ने पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने अपनी तरफ से तलाश शुरू कर दी लेकिन दूसरे दिन तक कोई सुराग हाथ नहीं लगा। जब तीसरे दिन परिजनों द्वारा एनटीपीसी विंध्यनगर का लेबर गेट बंद कर लोगों का आवागमन बंद करवा दिया गया तब जाकर सांय 5 बजे के करीब जगजीवन लाल कुशवाहा की लाश एनटीपीसी के स्टेज 2 मे केबल गैलरी में 20 फीट ऊपर केबल ट्रे के ऊपर फंसी हुई मिली। शव को निकालने के लिए पुलिस बल व सीआईएसएफ जवान को काफी मशक्कत करनी पड़ी।


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श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।