सिंगरौली,राघवेन्द्र सिंह गहरवार
सिंगरौली में मात्र 5 माह पूर्व पदस्थ किये गए अनुविभागीय अधिकारी नीरज नामदेव का तबादला हो गया है। उन्होने मोरवा समेत देवसर, चितरंगी, बैढन में अपराध पर कड़ा शिकंजा कसना शुरू कर दिया था। अपराधियो में पुलिस का खौफ साफ दिखने लगा था। नशे के सौदागरों ने अपना बोरिया बिस्तर समेट लिया था, शहर के इतिहास की सबसे बड़ी रेड इसका प्रमाण है जिसमें उन्होंने विगत दिवस 116 किलो गांजा जप्त किया और आरोपियों को जेला गया। शायद यही कारण था कि जिले को नशामुक्त करने का बीड़ा उठाये इस पुलिस अधिकारी को कई लोग अपने आंखों का कांटा समझने लगे थे।
अपने कार्यकाल में नीरज नामदेव ने कई ऐसे कारनामे किए जिससे उन्हें सुपर कॉप समझा जाने लगा। माडा क्षेत्र में बच्चों को उफनती नदी से बचाने का मामला हो या देवसर क्षेत्र के कई अंधी हत्याकांड की बात हो, उन्होंने हर मामले में आपने कम से कम समय मे अपना सर्वश्रेष्ठ दिया। कोरोना काल में रात रात बाइक से शहर में अपने मातहतों के साथ गश्त की ताकि शहर में कानून व्यवस्था बनी रहे। ऐसे पुलिस अधिकारी का इतने कम समय मे तबादला कर दिया जाना अनेक प्रश्नों को जन्म देता है।
शहर जानना चाहता है आखिर ऐसी कौन सी परिस्थितियां निर्मित हो गयी थी जिसके कारण एक ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ पुलिस अधिकारी का इतने कम समय में तबादला कर दिया गया। ऐमें तमाम सवाल खड़े हो रहे हैं जनता भी सरकार से जानना चाहती है कि आखिर महज 5 माह में एक युवा तेज तर्राट एसडीओपी नीरज नामदेव का तबादला का कारण क्या है जबकि सिंगरौली जिले में एसडीओपी नीरज नामदेव अपने सीनियर अधिकारी पुलिस अधीक्षक और अतिरिक्त पुलिस के मार्गदर्शन में हमेशा सराहनीय कार्य किये और सभी थानों के टी आई सहित आरक्षक तक से एसडीओपी साहब का एक अच्छा कार्यकरने की शैली थी। वो सभी को साथ लेकर चलते थे, मगर कुछ ही माह में तबादला कहीं न कहीं राजनीतिक हस्तक्षेप की सुगबुगाहट की ओर इशारा कर रहा है।