आदिवासी मरीज को नहीं मिली एम्बुलेंस, इलाज के लिए खाट पर तीन किलोमीटर दूर ले गए परिजन, कांग्रेस का तंज, BJP का यही अमृतकाल है

कांग्रेस नेता कमलेश्वर पटेल ने लिखा-आदिवासी इलाकों में बुनियादी सुविधाओं का अभाव न केवल उनके जीवन के अधिकार का हनन है बल्कि यह हमारे संविधान की मूल भावना के भी विपरीत है।

Atul Saxena
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MP News : प्रदेश की जनता को अच्छी स्वास्थ्य सेवा देने के सरकारी दावों की जमीनी हकीकत क्या है इसकी तस्वीरें सामने आती रहती हैं, इस बार एक बार फिर एक ऐसी ही तस्वीर सामने आई है जिसने इन दावों की पोल खोल दी है, कांग्रेस ने इस तस्वीर को सोशल मीडिया पर शेयर कर भाजपा सरकार पर निशाना साधा है।

मध्य प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कमलेश्वर पटेल ने एक वीडियो अपने X सोशल मीडिया एकाउंट पर पोस्ट की है जिसमें एक व्यक्ति को कुछ लोग खाट पर लिटाकर ले जा रहे हैं ये व्यक्ति मरीज है जिसे उसके परिजन इसलिए ऐसे ले जा रहे हैं क्योंकि उसे एम्बुलेंस नहीं मिली थी।

मानवता शर्मसार, इलाज के लिए मरीज को परिजन ले गए खाट पर 

कमलेश्वर पटेल ने लिखा- अति गरीब आदिवासी मरीज़ सोनू पिता राजलाखन कोल ईटार ग्राम पंचायत के ग्राम चंदनिया के रहने वाले हैं। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र देवसर, जिला सिंगरौली लाने के लिए एम्बुलेंस नहीं दी गई तो विवश होकर खाट पर लेटा कर उपचार के लिए करीब तीन किलोमीटर देवसर लाया गया। यह दृश्य हृदयविदारक और असहनीय है। क्या भाजपा का यही अमृतकाल है?

यह केवल एक परिवार की पीड़ा नहीं, बल्कि भाजपा सरकार की विफलता है

कांग्रेस नेता ने आगे लिखा- मरीज के परिवार का विश्वास सरकारी तंत्र से इस कदर उठ गया है कि अत्यंत गरीब होने के बाद भी उसने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र देवसर में ना जाकर निजी प्राइवेट डॉक्टर के क्लीनिक पर जाना उचित समझा।
यह घटना केवल एक परिवार की पीड़ा नहीं, बल्कि भाजपा सरकार की विफलता है। स्वास्थ्य सुविधाएं क्यों इतनी बदहाल हैं।

कमलेश्वर पटेल ने BJP पर साधा निशाना 

उन्होंने लिखा- भाजपा का ‘सबका साथ, सबका विकास’ केवल एक चुनावी नारा बनकर रह गया है ? मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव यह घटना सोचने पर मजबूर करती है कि आपकी नीतियों में गहरी खामी है। आदिवासी इलाकों में बुनियादी सुविधाओं का अभाव न केवल उनके जीवन के अधिकार का हनन है बल्कि यह हमारे संविधान की मूल भावना के भी विपरीत है।

सिंगरौली से राघवेन्द्र सिंह गहरवार की रिपोर्ट


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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