MP Tourism : नवरात्रि का त्यौहार चल रहा है। ऐसे में देशभर के प्रसिद्ध माता मंदिरों के दर्शन के लिए भक्तों का तांता उमड़ रहा है। सबसे ज्यादा मध्यप्रदेश के चमत्कारी माता मंदिर इन दिनों पर्यटकों की पहली पसंद बने हुए हैं। दूर-दूर से भक्त माता के चमत्कार देखने के साथ-साथ अपनी समस्याओं को दूर करने के लिए दर्शन करने आ रहे हैं। आज हम आपको मध्यप्रदेश के भोपाल शहर में मौजूद एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां की मान्यता सबसे अलग है।
MP Tourism : भोपाल के कोलार में है मंदिर
इस मंदिर में लोग जूते चप्पल माता को अर्पित करते हैं। आप भी यह सुनकर हैरान रह गए होंगे। लेकिन यह सच है। भोपाल में मौजूद अनोखा देवी मंदिर में माता को प्रसाद के रूप में जूते चप्पल चढ़ाए जाते हैं। यह मंदिर भोपाल के कोलार क्षेत्र में मौजूद है। मंदिर में माता सिद्धिदात्री विराजमान है। इतना ही नहीं इसे जीजाबाई माता मंदिर के नाम से जाना जाता है।
खास बात यह है कि यहां पर मौजूद माता की पूजा बेटी के रूप में की जाती है। आने वाले भक्तों प्रसाद के रूप में माता को नए-नए चप्पल का भोग लगाते हैं। सिर्फ देश ही नहीं विदेशों से भी यहां भक्तों दर्शन के लिए और इतिहास जानने के लिए आते हैं। ओम प्रकाश महाराज ने करीब 30 साल पहले इस मंदिर की स्थापना की थी।
यहां मंदिर में माता के दर्शन करने के लिए भक्तों को करीब 300 सीढ़ियां चढ़कर जाना पड़ता है। मंदिर को लेकर बताया गया है कि शिव पार्वती के विवाह का अनुष्ठान इस मंदिर में करवाया गया था। इतना ही नहीं की स्थापना करने वाले ओमप्रकाश महाराज ने खुद पार्वती जी का कन्यादान अपने हाथों से किया था। इस वजह से वह आज भी माता को बेटी मानकर उनकी पूजा करते हैं।
ऐसी है इस चमत्कार मंदिर की मान्यता –
मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि अगर कोई भक्त माता को नई चप्पल, सैंडल, चश्मा, घड़ी या फिर कैप प्रसाद के रूप में चढ़ाता है तो उसके सभी समस्या दूर होने के साथ हर मनोकामना पूर्ण होती है। इतना ही नहीं जो लोग यहां मन्नत मांगते हैं, वह जरूर पूरी होती है। इसके चमत्कार भी कई बार देखे जा चुके हैं। नवरात्रि के दौरान मंदिर में भक्तों की भीड़ देखने को मिलती है। इस मंदिर की काफी ज्यादा मान्यता और चमत्कार है जो देश भर में प्रसिद्ध है।
अब आप सोच रहे होंगे कि माता को प्रसाद के रूप में चढ़ाए गए चप्पल क्या बाद में क्या किया जाता है, तो ओम प्रकाश महाराज द्वारा बताया गया है कि जो भी नए सैंडल, चप्पल, घड़ी या कुछ अन्य चीज माता को भोग में चढ़ाई जाती है, उसे बेसहारा और जरूरतमंदों में बांट दिया जाता है। जिस वजह से उनका भी गुजारा होता है।