मध्य प्रदेश भारत के सबसे सुंदर राज्यों में से एक है। इस राज्य की खूबसूरत संस्कृति और परंपराएं हमेशा से ही लोगों के आकर्षण का केंद्र रही है। यहां मनाए जाने वाले त्योहारों से लेकर मानी जाने वाली परंपरा और पर्यटक स्थल सभी लोगों के बीच काफी मशहूर है। जब आप यहां जाएंगे तो आपको कई सारे स्थान का दीदार करने को मिलेगा।
अपने देश के कोने-कोने में स्थित अलग-अलग खूबसूरत गांव के बारे में सुना होगा। कुछ जगह तो ऐसी है जो अपनी सुंदरता की वजह से विश्व भर में पहचान रखती है। ऐसा ही एक सुंदर सा गांव मध्य प्रदेश में भी मौजूद है। ये प्रदेश का सबसे छोटा गांव है जो अपने प्राकृतिक सौंदर्य की वजह से पहचाना जाता है। हम बात कर रहे हैं देवगढ़ गांव की जो प्राचीन स्थापत्य कला को आज भी अपने अंदर समेटे हुए हैं।

सबसे छोटा है देवगढ़ गांव (Smallest Village)
मध्य प्रदेश का सबसे छोटा गांव देवगढ़ छिंदवाड़ा जिले में मौजूद है। बेतवा नदी के किनारे बसा ये गांव अपनी प्राकृतिक सुंदरता से किसी का भी दिल जीत सकता है। यह बहुत ही पुराना गांव है जहां पर आज भी कई सारे प्राचीन किले और खंडहर मौजूद है। यहां की प्राचीन इमारतें अब भले ही खंडहरों में बदल चुकी है लेकिन आज भी प्राचीन गाथाओं का बखान करती नजर आती है।
रहते हैं 850 लोग
देवगढ़ गांव काफी छोटा है और यहां की आबादी करीब 850 लोगों की। छिंदवाड़ा जिला मुख्यालय से यह 45 किलोमीटर की दूरी पर मोहखेड़ विकासखंड में मौजूद है। जानकारी के मुताबिक किसी समय यह गांव गोंड साम्राज्य के राजा जाटव शाह की राजधानी था। यह गांव 650 मीटर ऊंची पहाड़ी पर बसा हुआ है, जहां से प्रकृति के अद्भुत नजारे दिखाई देते हैं।
नदी ने बढ़ाई सुंदरता
देवगढ़ गांव की सुंदरता में असली चांद यहां बहने वाली बेतवा नदी ने लगाया है। जब 18 वीं सदी में यह गोंड साम्राज्य की राजधानी था तब यहां पर कई सारे किले और मंदिरों का निर्माण किया गया था। इन मंदिरों और किले के पास से गुजरती बेतवा नदी इन स्थानों के सुंदरता बढ़ाने का काम करती है। सुंदर गांव को निहारने और यहां की संस्कृति और इतिहास को जानने के लिए कई लोग पहुंचते हैं।
इतिहास से गहरा नाता
देवगढ़ गांव का इतिहास से गहरा नाता है। यहां एक बहुत ही खूबसूरत किला मौजूद है जिसे देवगढ़ का किला कहा जाता है। इसे चट्टानी पहाड़ों को काटकर तैयार किया गया था। इतिहासकार बताते हैं कि यह सबसे सुरक्षित माना जाता था और यहां पहुंचने के लिए राजाओं के लिए भूमिगत मार्ग भी बनाया गया था जो देवगढ़ से लेकर नागपुर तक जाता था। हमले के वक्त राजा और रानी को सुरक्षित मार्ग दिया जा सके इसी के लिए यह रास्ता तैयार किया गया था।