मध्यप्रदेश के किसानों के लिए राहतभरी खबर है। प्रदेश सरकार की भावांतर (Bhawantar) भुगतान योजना के तहत सोयाबीन की खरीदी 24 अक्टूबर 2025 से शुरू हो रही है, खरीदी का कार्य 15 जनवरी तक जारी रहेगा। लंबे इंतज़ार के बाद अब किसान अपनी मेहनत की फसल को मंडियों में उचित मूल्य पर बेच सकेंगे। राज्य की प्रमुख अनाज मंडियों और उपमंडियों में व्यवस्थाएं पूरी कर ली गई हैं, ताकि खरीदी प्रक्रिया सुचारू रूप से चल सके।
किसानों के लिए यह योजना इसलिए खास है क्योंकि इसमें सरकार बाजार भाव और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के बीच आने वाले अंतर की राशि सीधे किसानों के बैंक खातों में जमा कराती है। यानी अगर बाजार में दाम कम मिलते हैं, तो नुकसान की भरपाई सरकार करेगी।

भावांतर योजना के तहत खरीदी का कार्य लगभग तीन महीने तक चलेगा। इस दौरान किसान अपनी सोयाबीन मंडियों या उपमंडियों में बेच सकते हैं। खरीदी के बाद 15 दिन के भीतर अंतर की राशि किसानों के बैंक खातों में ट्रांसफर करने का लक्ष्य रखा गया है।
खरीदी के लिए किसान को निम्न दस्तावेज साथ लाने होंगे
- भावांतर योजना का पंजीयन रसीद
- आधार कार्ड
- बैंक पासबुक की प्रति
- सोयाबीन की उपज का सैंपल
किसानों को फसल बेचने के बाद मंडी से भुगतान स्लिप दी जाएगी, जिसके आधार पर भावांतर का अंतर उनकी बैंक खाते में आएगा। यह प्रक्रिया पूरी तरह ऑनलाइन और पारदर्शी बनाई गई है ताकि किसी प्रकार की धोखाधड़ी न हो सके।
इंदौर की मंडियों में पूरी तैयारियां, खरीदी को लेकर उत्साह
इंदौर जिले में भावांतर योजना की खरीदी के लिए सातों प्रमुख मंडियों और उपमंडियों में व्यवस्थाएं पूरी कर ली गई हैं। इनमें लक्ष्मीबाई नगर अनाज मंडी, संयोगितागंज, महू, गोतमपुरा, देपालपुर, सांवेर और चंद्रावतीगंज मंडियां शामिल हैं। उप संचालक कृषि सी.एल. केवड़ा ने बताया कि जिले में 46,061 किसानों ने पंजीयन कराया है, जबकि पूरे संभाग में यह संख्या 1.45 लाख से अधिक है। उन्होंने बताया कि सभी मंडियों में तोल कांटे, ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन डेस्क और पेमेंट ट्रैकिंग सिस्टम जैसी सुविधाएं सक्रिय कर दी गई हैं।
भावांतर योजना क्या है और किसानों को कैसे मिलती है राहत
भावांतर योजना मध्यप्रदेश सरकार की एक महत्वपूर्ण पहल है, जिसका उद्देश्य किसानों को उनकी फसलों का उचित मूल्य सुनिश्चित करना है। अगर किसी सीजन में बाजार भाव MSP से नीचे चला जाता है, तो सरकार किसानों को दोनों भावों के बीच का अंतर सीधे भुगतान करती है।
क्यों महत्वपूर्ण है यह योजना किसानों के लिए
मध्यप्रदेश सोयाबीन उत्पादन में देश का अग्रणी राज्य है। राज्य के लाखों किसान अपनी आय का बड़ा हिस्सा इसी फसल से प्राप्त करते हैं। लेकिन बाजार में दामों में उतार-चढ़ाव से किसानों को भारी नुकसान झेलना पड़ता है। ऐसे में भावांतर योजना किसानों के लिए एक सुरक्षा कवच का काम करती है। इसके तहत किसान को बाजार गिरने का डर नहीं रहता, सरकार के भरोसे किसान अपनी फसल बेच सकता है, ग्रामीण अर्थव्यवस्था में स्थिरता आती है, नकदी प्रवाह बढ़ता है, जिससे खर्चों का संतुलन बनता है।
राज्य सरकार की तैयारी और निगरानी व्यवस्था
राज्य सरकार ने सभी जिलों में नोडल अधिकारी नियुक्त किए हैं, जो खरीदी की पूरी निगरानी करेंगे। प्रत्येक मंडी में किसान सहायता केंद्र बनाए गए हैं, जहां किसान अपनी समस्या या शिकायत दर्ज करा सकते हैं। साथ ही, एक ऑनलाइन पोर्टल भी जारी किया गया है, जिससे किसान अपने पंजीयन और भुगतान की स्थिति रियल टाइम में देख सकते हैं। सरकार का लक्ष्य है कि किसान को भावांतर भुगतान 15 दिनों के भीतर मिल जाए, ताकि कोई विलंब न हो।










