छात्रों ने किया परीक्षा का बहिष्कार कहा “जब पढ़ाई ऑनलाइन तो परीक्षा क्यों ऑफलाइन”?

Gaurav Sharma
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भोपाल , डेस्क रिपोर्ट। सेम ग्लोबल यूनिवर्सिटी भोपाल में छात्र परीक्षा का बहिष्कार कर धरने पर बैठ गए हैं। छात्रों का कहना है की जब पढाई साल भर ऑनलाइन हुई है तो परीक्षा ऑफलाइन क्यूं? इतना ही नहीं कॉलेज प्रबंधन के सामने जब छात्रों ने अपना पक्ष रखा तो छात्रों को आश्वासन तो दिया गया पर बाद में उनकी नज़रअंदाज़ कर दी गई।

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छात्रों ने किया परीक्षा का बहिष्कार कहा "जब पढ़ाई ऑनलाइन तो परीक्षा क्यों ऑफलाइन"? छात्रों ने किया परीक्षा का बहिष्कार कहा "जब पढ़ाई ऑनलाइन तो परीक्षा क्यों ऑफलाइन"?

MP Breaking News से बात करते में NSUI छात्र नेता रवि परमार ने बताया कि यह धरना कॉलेज प्रबंधन द्वारा मनमाने तरीके से परीक्षा लेने को लेकर दिया जा रहा है। उन्होनें कहा कि जब पूरे साल पढाई ऑनलाइन तरीके से हुई है तो फिर परीक्षा ऑफलाइन क्यूं? इसके अलावा उन्होनें बताया कि इस बारे में जब छात्रों ने कॉलेज प्रबंधन से बात कि थी तो उनकी बात सुनने का आश्वासन प्रबंधन द्वारा दिया गया था। पर मात्र दो दिन पहले टाइम टेबल देकर और एक दिन पहले एडमिट कार्ड देकर छात्रों को परीक्षा देने पर मजबूर किया जा रहा है। इसके अलावा परमार ने कहा कि जिस सब्जेक्ट का आज पेपर होना था उसका कभी कोई लेक्चर ही नहीं लिया गया, और जब छात्रों ने इस विषय पर प्रिंसिपल से मिलने का प्रयास किया गया तो उन्हें मिलने नहीं दिया गया । इस वजह से सभी छात्रों ने परीक्षा का बहिष्कार किया है और धरना दे रहे हैं।

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हालाँकि कॉलेज प्रबंधन कि ओर से अभी तक इस बात पर कोई जवाब नहीं आया है । अब देखना होगा कि कॉलेज प्रबंधन छात्रों की मांगो को लेकर क्या निर्णय लेता है।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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