Sundarsi Mahakal MP: उज्जैन में स्थित बाबा महाकाल का मंदिर विश्व भर में प्रसिद्ध है और इसके बारे में सभी लोगों को जानकारी है। आम आदमी से लेकर राजनेता हो या अभिनेता हर कोई यहां बाबा के चरणों में नतमस्तक होने के लिए पहुंचता है। महाकाल मंदिर का इतिहास बहुत पुराना है और यहां से कई सारी किवंदती भी जुड़ी हुई है।
महाकाल की महिमा के बारे में तो आप सभी लोगों ने सुना होगा लेकिन आज हम आपको महाकालेश्वर मंदिर नहीं बल्कि उनकी प्रतिकृति के रूप में स्थापित एक मंदिर की जानकारी देते हैं, जिसका इतिहास सम्राट विक्रमादित्य से जुड़ा हुआ है। यह मंदिर भारत के मध्य प्रदेश के शाजापुर जिले में मौजूद है जो बहुत ही प्रसिद्ध है। आज हम आपको इस मंदिर के इतिहास से रूबरू करवाते हैं।
शाजापुर में है Sundarsi Mahakal
महाकाल की नगरी अवंतिका से 77 किलोमीटर दूर शाजापुर के संदरसी कस्बे में संदरसी महाकाल का यह मंदिर मौजूद है। स्थानीय बड़े बुजुर्गों के मुताबिक इस मंदिर का इतिहास बहुत पुराना है। यहां पर बने हुए मंदिर में जो शिवलिंग है वह बाबा महाकाल की प्रतिकृति है, जिसका निर्माण सम्राट विक्रमादित्य ने अपनी बहन सुंदरा के लिए करवाया था।
ऐसी है कहानी
विक्रमादित्य उज्जैन के राजा थे इस बारे में तो सभी लोगों को जानकारी है और उन्होंने महाकालेश्वर मंदिर के निर्माण में भी बड़ी भूमिका निभाई थी। शाजापुर में बने इस महादेव मंदिर से जुड़ी हुई कथा के मुताबिक सम्राट की बहन सुंदरा उज्जैन में स्थित बाबा महाकाल और गोपाल मंदिर के दर्शन करने के बाद ही भोजन ग्रहण करती थी। उनका विवाह हुआ तो ऐसे में इतनी दूर तक दर्शन करने आना और भोजन करना एक समस्या भरी बात थी और इसे दूर करने के लिए राजा विक्रमादित्य ने संदरसी कस्बे में बाबा महाकाल के साथ हरसिद्धि और श्रीगणेश के मंदिर भी बनवाए।
View this post on Instagram
सावन में होती है भस्म आरती
पूरे विश्व में महाकालेश्वर मंदिर ही एक ऐसी जगह है जहां पर दक्षिण मुखी शिवलिंग मौजूद है और यहां पर सुबह 4 बजे बाबा की भस्म आरती की जाती है। लेकिन संदरसी कस्बे में बने हुए इस प्राचीन मंदिर में भी महाकाल मंदिर की तर्ज पर श्रावण के महीने में भस्म आरती का आयोजन किया जाता है। इस मंदिर के पीछे महाकाल मंदिर में मौजूद कोटितीर्थ की तरह एक पानी का सुंदर सा कुंड भी बना हुआ है।
कई पुराणों में है उल्लेख
संदरसी में बने हुए इस महाकाल मंदिर का उल्लेख कई पुरातात्विक किताबों में किया गया है। जानकारी के मुताबिक इसका निर्माण 13वीं शताब्दी में किया गया था और इसके पास मौजूद एक पेड़ के नीचे कुछ तीर्थकरों की प्रतिमा भी दिखाई देती है। उज्जैन के पुरातत्व विभाग से विष्णु श्रीधर वाकणकर यहां पर शोध के लिए पहुंचे थे और कई प्राचीन मूर्तियां अपने साथ लेकर गए थे।
View this post on Instagram
इस मंदिर के बारे में शोध करने वाले संस्कृतविद के मुताबिक संदरसी में बना हुआ यह मंदिर हुबहू उज्जैन के महाकाल मंदिर की तरह बना हुआ है। कई लेखकों ने अपनी किताबों में इस जगह का उल्लेख किया है।
सीएम ने की संदरसी महाकाल के विकास की घोषणा
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान हाल ही में लाडली बहना योजना के एक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए शुजालपुर पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने इस मंदिर के विकास के लिए राशि स्वीकृत करने की बात कही है।
सीएम की घोषणा के बाद इस मंदिर का कायाकल्प होने और इसके पर्यटन क्षेत्र के रूप में विकसित होने की उम्मीदें जगी है। कालीन कलेक्टर दिनेश जैन लंबे समय से इस मंदिर के विकास को लेकर प्रयास कर रहे थे। स्थानीय जनप्रतिनिधि और मंदिर से जुड़े लोग भी लंबे समय से इसके विकास की मांग कर रहे हैं।
अगर इस मंदिर का विकास हो जाता है तो बाबा महाकाल के दर्शन करने के लिए उज्जैन पहुंचने वाले भक्तों उनकी प्रतिकृति के रूप में स्थापित इस मंदिर में दर्शन करने के लिए जरूर पहुंचेंगे। विकास के बाद जब यहां पर्यटकों का आना-जाना शुरू होगा तो जिला पर्यटन के लिहाज से एक अच्छी जगह बन सकेगा और इसका लाभ स्थानीय निवासियों को होगा।