तानसेन संगीत समारोह में शनिवार से सजेगी सुरों की महफ़िल, आज निकलेंगी कला यात्रा

Atul Saxena
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ग्वालियर, अटल सक्सेना। संगीत सम्राट तानसेन की याद में होने वाला राष्ट्रीय तानसेन संगीत समारोह (Tansen Sangeet Samaroh) कल 26 दिसंबर से ग्वालियर में शुरू होगा। संगीत सम्राट के समाधि स्थल हजीरा पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (CM Shivraj Singh Chauhan) इसका शुभारम्भ करेंगे, अध्यक्षता संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर (Culture Minister Usha Thakur) करेंगी। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia), केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर(Narendra Singh Tomar)  बतौर विशेष अतिथि मौजूद रहेंगे। तानसेन समारोह की पूर्व संध्या पर आज शनिवार शाम पूर्व रंग “गमक” का आयोजन होगा, गमक से पहले शहर के दो स्थानों से कला यात्रायें निकाली जाएँगी।

गमक में सूफी गायक पूरनचंदवडाली का गायन आज 

तानसेन समारोह की पूर्व संध्या पर आयोजित पूर्वरंग “गमक” का आयोजन आज 25 दिसम्बर को शाम 7 बजे से इंटक मैदान हजीरा पर होगा। “गमक” में विश्व विख्यात पंजाबी सूफी गायक उस्ताद पूरनचंद्र बडाली एवं उनके बेटे लखविंदर बडाली का सूफी गायन होगा। विश्व भर में सूफी संगीत को प्रार्थना के रूप में स्थापित करने का श्रेय पद्मश्री पूरनचंद्र और उनके घराने को है। पद्मश्री पूरन चंद्र वडाली और उस्ताद लखविंदर बडाली के सूफियाना कलाम, भजन एवं गीतों से शनिवार की शाम भक्तिमय और संगीतमय होगी।

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हम खुशनसीब हैं कि संगीत सम्राट की बारगाह में गाने का मौका मिला

ग्वालियर पहुंचे पूरन चंद्र वडाली मियां तानसेन तो संगीत सम्राट थे, सुरों के बादशाह और कलंदर थे, हम तो उस महान हस्ती की पैरों की धूल भी नहीं। ये क्या कम खुशनसीबी है कि उनकी बारगाह में गाने का मौका मिला है। अजी हम बहुत किस्मत वाले हैं, जो मध्यप्रदेश की सरकार और डिपार्टमेंट ऑफ कल्चर ने हमें ये मौका दिया है, हमारी तो वर्षों की आस पूरी हो गई। अब तो बाबा तानसेन से इतनी इल्तिज़ा है कि बस सुर सही से लग जाए..।

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कला यात्रा में संभाग भर के लोक कलाकार बहायेंगे लोकधारा

“गमक” से पहले विशाल कला यात्राएँ निकलेंगीं। एक कला यात्रा पारंपरिक रूप से किलागेट से शुरू होकर “गमक” आयोजन स्थल इंटक मैदान हजीरा तक पहुँचेगी। इस बार महाराज बाड़ा से एक भव्य कला यात्रा निकाली जा रही है। जिसमें ग्वालियर एवं चंबल संभाग के सभी जिलों के लोक कलाकार शामिल होंगे। इस कला यात्रा में शामिल लोक कलाकार मार्ग में चार स्थानों पर अपने-अपने जिले की लोक कलाओं का प्रदर्शन करेंगे। श्रेष्ठ कला दलों को नगर निगम द्वारा आकर्षक नगद पुरस्कारों से सम्मानित किया जाएगा। इसके लिए एक निर्णायक मण्डल समिति का गठन किया गया है।

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सिद्धनाथ मंदिर ओंकारेश्वर की थीम पर बनेगा तानसेन समारोह का मुख्य मंच

भारतीय शास्त्रीय संगीत के सर्वाधिक प्रतिष्ठित महोत्सव “तानसेन समारोह” के मुख्य मंच की थीम तय हो गई है। इस बार ओंकारेश्वर स्थित सिद्धनाथ मंदिर की थीम पर बने भव्य एवं आकर्षक मंच पर बैठकर ब्रम्हनाद के शीर्षस्थ साधक संगीत सम्राट तानसेन को स्वरांजलि अर्पित करेंगे। राज्य शासन के संस्कृति विभाग से जुड़ीं उस्ताद अलाउद्दीन की संगीत कला अकादमी एवं मध्यप्रदेश संस्कृति परिषद द्वारा संगीत सम्राट तानसेन की स्मृति में हर साल आयोजित होने वाले तानसेन समारोह के मुख्य मंच की पृष्ठभूमि में भारतीय वास्तुकला के ऐतिहासिक स्मारक को प्रदर्शित किया जाता है। इसी कड़ी में इस साल के तानसेन समारोह के मुख्य मंच की पृष्ठभूमि के लिये सिद्धनाथ मंदिर ओंकारेश्वर का चयन किया गया है।

तानसेन संगीत समारोह में शनिवार से सजेगी सुरों की महफ़िल, आज निकलेंगी कला यात्रा

वास्तुकला की दृष्टि से सिद्धनाथ मंदिर काफी प्रभावशाली है। भगवान भोले की नगरी ओंकारेश्वर में यह मंदिर एक द्वीप के पठारी भाग में स्थित है। इसे एक विशाल चबूतरे से आधार दिया गया है। जिसके चारों ओर विभिन्न मुद्राओं में बहुत से हाथियों की मूर्तियां खूबसूरती के साथ गढ़ी गई हैं। मंदिर के अंदर जाने के लिये चारों ओर से प्रवेश की व्यवस्था है। साथ ही एक भव्य सभा मण्डप भी बना हुआ है। हर सभा मण्डप में पत्थर से बने हुए 14 फीट ऊँचाई के 18 खम्बे बने हैं और इन पर मनोहारी कलाकृतियां भी बनी हुई हैं। अंदाजा लगाया जा सकता है जब यह मंदिर अपने सही और पूर्ण रूप में होगा तो वह कितना भव्य और सुंदर दिखता होगा। मुगल शासक औरंगजेब ने खजाने की खोज में इस मंदिर को खंडित कर दिया था।

समारोह में कुल 9 संगीत सभायें होंगी

तानसेन समारोह के तहत पारंपरिक ढंग से 26 दिसम्बर को प्रात:काल तानसेन समाधि स्थल पर हरिकथा, मिलाद, शहनाई वादन व चादरपोशी होगी। 26 दिसम्बर को सायंकाल 6 बजे तानसेन शुभारंभ समारोह और पहली संगीत सभा आयोजित होगी। इस बार के समारोह में कुल 9 संगीत सभायें होंगी। पहली 7 संगीत सभायें सुर सम्राट तानसेन की समाधि एवं मोहम्मद गौस के मकबरा परिसर में भव्य एवं आकर्षक मंच पर सजेंगी। समारोह की आठवीं सभा 30 दिसम्बर को सुर सम्राट तानसेन की जन्मस्थली बेहट में झिलमिल नदी के किनारे और नौवीं एवं आखिरी संक्षिप्त संगीत संभा ग्वालियर किले पर आयोजित होगी। प्रात:कालीन सभा हर दिन प्रात: 10 बजे और सांध्यकालीन सभा सायंकाल 6 बजे शुरू होंगी।


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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