नगर पालिक निगम सिंगरौली एक बार फिर विवादों में घिरा हुआ है। दरअसल साल 2021 में हुए ई-टेंडरिंग के बजाय ऑफलाइन टेंडर देकर करोड़ों के काम ठेकेदारों को बांटे गए। अब इस पूरे मामले की शिकायत रीवा स्थित आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (EOW) में की गई है, जिसके बाद जांच शुरू हो गई है। जांच के दायरे में निगम के कई अधिकारी और ठेकेदार हैं। कहा जा रहा है कि निगमायुक्त ने भी इस मामले की पड़ताल शुरू कर दी थी, लेकिन राजनैतिक दबाव के चलते जांच को रोकने की कोशिश हुई है।
वही आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ रीवा की उपनिरीक्षक भावना सिंह ने सिंगरौली नगर निगम के आयुक्त डी.के. शर्मा को पत्र लिखकर मामले से जुड़े कई दस्तावेज मांगे हैं। इनमें 13 जनवरी 2021 की टेंडर नोटिफिकेशन, तकनीकी और प्रशासनिक स्वीकृतियां, सभी निविदाकारों की जानकारी, गठित समिति के आदेश, तुलनात्मक चार्ट, कार्य की मूल नोटशीट, ऑनलाइन टेंडर की प्रिंट कॉपी, सत्यापन रिपोर्ट और भुगतान से जुड़ी जानकारियां शामिल हैं।

सरकारी नियमों की अनदेखी हुई
शिकायत में साफ तौर पर कहा गया है कि जिन कामों के लिए ई-टेंडरिंग होनी चाहिए थी, उन्हें ऑफलाइन प्रक्रिया से अंजाम दिया गया। इससे सरकारी नियमों की अनदेखी हुई और ठेकेदारों को सीधा फायदा पहुंचा। ये सभी दस्तावेज अब निगम द्वारा EOW को सौंप दिए गए हैं, और जांच की प्रक्रिया औपचारिक रूप से शुरू हो गई है। दरअसल नियमों के अनुसार, एक लाख रुपए से ज्यादा के किसी भी सरकारी कार्य के लिए ई-टेंडरिंग जरूरी होती है। लेकिन सिंगरौली में इस नियम को नजरअंदाज कर अफसरों ने ऑफलाइन टेंडर के जरिए काम बांटे।
पहले निगम स्तर पर जांच शुरू हुई थी
बता दें कि इस घोटाले की जांच पहले निगम स्तर पर शुरू हुई थी और अब यह EOW तक पहुंच गया है। नगर निगम सिंगरौली के आयुक्त डी.के. शर्मा ने बताया कि इस मामले में जांच की जा रही है। उन्होंने माना कि वर्ष 2021 में कुछ निविदाएं ऑफलाइन तरीके से कर ठेकेदारों को लाभ पहुंचाया गया, जो नियमों के खिलाफ था। उन्होंने पुष्टि की कि सभी जरूरी दस्तावेज अब आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ को सौंप दिए गए हैं और जांच में सहयोग किया जा रहा है। दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
सिंगरौली से राघवेंद्र सिंह गहरवार