भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्यप्रदेश के भोपाल (Bhopal) में देश का एक सबसे अलग स्कूल (School) है। इस स्कूल में लड़कियों को काफी ज्यादा सम्मान दिया जाता है। खास बात ये है कि इस स्कूल में लड़कियों को लेकर एक अलग ही नियम बनाए गए है। दरअसल, स्कूल में लड़कियों के सरनेम का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। ये इसलिए क्योंकि यहां स्कूल में लड़कियों की जाति को छुपाने के लिए उनके नाम के पीछे लगा हुआ सरनेम का इस्तेमाल नहीं किया जाता है।
सरनेम की जगह पहचान के लिए कुछ अलग शब्दों का प्रयोग किया जाता है जिससे बच्ची की पहचान की जा सके। इतना ही नहीं अगर किसी बच्ची का नाम एक जैसा है तो उनके नाम के पीछे कुछ शब्द अलग से जोड़ दिए जाते हैं। उनसे ही स्कूल में उन्हें जाना जाता है। साथ ही इस स्कूल में लड़कियों को शक्ति स्वरूपा के तौर पर जाना जाता है। इसके अलावा अभी नवरात्री के दौरान स्कूल में नौ दिनों तक पूजा की जाती है ऐसे में पूरे स्कूल में भक्तिमय माहौल रहता है।
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हालांकि स्कूल के एग्जाम फॉर्म और डाक्यूमेंट्स में लड़कियों के सरनेम का इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन किसी भी छात्रा को उनके सरनेम से यहां कभी भी नहीं बुलाया जाता है। जानकारी के मुताबिक, इस स्कूल का नाम गार्गी शासकीय आवासीय आदर्श कन्या संस्कृत विद्यालय है। ये स्कूल भोपाल के बरखेड़ी में है। इस स्कूल में काफी ज्यादा लड़कियां पढ़ाई करती है। गिनती के हिसाब से इस स्कूल में करीब 210 लड़कियां है।
ये है वजह –
बात करें इसके पीछे की वजह की तो यह मामला अध्यात्म से जुड़ा हुआ है। स्कूल प्रशासन का मानना है कि लड़की का व्यक्तित्व उसका अपना होता है ऐसे में इस स्कूल में लड़कियों की पूजा की जाती है। दरअसल किसी भी लड़की का अस्तित्व है। उसकी पहचान होती है इस वजह से स्कूल में लड़कियों के सरनेम का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। हालांकि एडमिशन के वक्त फॉर्म में और एग्जाम फॉर्म में सरनेम लिखे जाते हैं। लेकिन कभी भी इस स्कूल में लड़कियों को सरनेम से नहीं बुलाया जाता है ना ही किसी को उनके सरनेम बताए जाते हैं।