इनके कानों में आज भी गूंजता है शोले का फेमस डायलॉग, डकैत ने किया था ये सुलूक 

Atul Saxena
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भिंड, गणेश भारद्वाज। हिंदी सिनेमा में इतिहास रचने वाली  डायमंड जुबली फ़िल्म ‘शोले’ (Sholay) तो आपने भी देखी ही होगी, उसका वो फेमस डायलॉग ‘ये हाथ हमको दे दे ठाकुर’ भी कई बार सुना होगा। 1975 में रिलीज हुई सुपर डुपर हिट फिल्म ‘शोले’ (Sholay) में एक काल्पनिक कहानी में ठाकुर के दोनों हाथ गब्बर सिंह ने काट दिए थे। लेकिन भिंड जिले के लाखन सिंह के दोनों हाथ डकैत छोटे सिंह ने काट दिए थे। वे तीन दशक से डकैत का दिया दंश झेल रहे हैं।

अमिताभ बच्चन (Amitabha Bacchan)एवं धर्मेंद्र (Dharmendra) अभिनीत सुपर हिट फिल्म ‘शोले’ (Sholay) में खूंखार डकैत ‘गब्बर’ की भूमिका निभाने वाले अमजद खान (Amzad Khan) ‘ठाकुर बलदेव’ की भूमिका निभा रहे संजीव कुमार (Sanjeev Kumar) का अपहरण कर लेते हैं और फिर उनके दोनों हाथ काट देते हैं। फिल्म ‘शोले’ (Sholay) की ये कहानी काल्पनिक थी लेकिन असल जिंदगी में भी ऐसा हुआ है वो चंबल के भिंड जिले में। यहां पर तकपुरा गांव के रहने वाले लाखन सिंह पुत्र नवल सिंह के दोनों हाथ वर्ष 1979 में कुख्यात डकैत रहे छोटे सिंह ने काट दिए थे। यही नहीं डकैत छोटे सिंह ने उनकी नाक भी काट दी थी। जिससे वह जिंदगी भर के लिए अपाहिज हो गए। उस समय उनकी उम्र महज 21 साल थी। आज भी लाखन सिंह इसी हाल में जी रहे हैं।

तलवार से काट दिए थे दोनों हाथ और नाक

बतौर लाखन सिंह डकैत छोटे सिंह से उनकी कोई दुश्मनी नहीं थी। लेकिन उनके बहनोई का विवाद जरूर उससे चल रहा था। 1979 में जब वह मल्लपुरा गांव से अपने गांव तकपुरा जा रहे थे तभी डकैत छोटे सिंह ने अपने आधा दर्जन साथियों के साथ उन्हें घेर लिया। जिसके बाद उनकी घंटों तक बेरहमी से पिटाई की और फिर तलवार से उनके दोनों हाथ और नाक काट कर छोड़ दिया। तब से वह अपाहिज की जिंदगी बिता रहे हैं। लाखन सिंह के अनुसार कुछ समय बाद ही डकैत छोटे सिंह मारा गया। हालांकि छोटे सिंह का नाम बड़े या सूचीबद्ध डकैतों में नहीं मिल रहा है।

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पेंशन बंद होने से मुश्किल हो रहा गुजारा

वर्ष 1984 में लाखन सिंह को दस्यु पीड़ित पेंशन मिलना शुरू हुई थी। लेकिन 8 साल पहले वह बंद कर दी गई। ऐसे में अब लाखन सिंह की गुजर बसर मुश्किल हो गई है। वह अपनी पेंशन फिर से चालू कराए जाने के लिए अधिकारियों से गुहार लगा रहे हैं। लाखन सिंह अपने भाई भतीजों के साथ रह रहे हैं। उनके हिस्से में महज डेढ़ बीघा जमीन है। ऐसे में इतनी कम जमीन से उनकी गुजर बसर बेहद ही मुश्किल हो रही है।

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पुलिस अधीक्षक मनोज कुमार सिंह ने की लाखन सिंह से मुलाकात

भिंड जिले के पुलिस अधीक्षक मनोज कुमार सिंह (SP Manoj Kumar Singh) एक पुलिस संग्रहालय बना रहे हैं जिसमें चंबल के डकैतों एवं पुलिस द्वारा उनके खात्मे की कहानी संग्रहालय के जरिए लोगों तक पहुंचाई जाएगी। ताकि अपराध की दुनिया में कदम रखने से पहले लोग सौ बार सोचें कि अपराधियों का अंजाम आखिर क्या होता है। इसी संग्रहालय को लेकर पुलिस अधीक्षक मनोज कुमार सिंह दस्यु पीड़ितों की कहानी एकत्रित कर रहे हैं। इसी सिलसिले में उनकी मुलाकात लाखन सिंह से हुई और तब लाखन सिंह ने अपनी व्यथाकथा श्री सिंह को सुनाई। उन्होंने अपनी पेंशन बंद होने की पीड़ा  बताई। जिसे  अति शीघ्र चालू कराने का आश्वासन एसपी  के द्वारा उनको दिया गया। ज्ञात हो कि भिंड पुलिस के द्वारा मेहगांव के एक पुराने थाना भवन में चंबल के डकैतों को लेकर एक म्यूजियम बनाया जा रहा है जिसका 80% काम अब तक पूरा हो चुका है।


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Atul Saxena

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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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