मध्य प्रदेश की जबलपुर हाई कोर्ट ने यूनियन कार्बाइड कचरे के निपटारे को लेकर राज्य सरकार को तीन चरणों में ट्रायल रन करने की अनुमति दे दी है। दरअसल, राज्य सरकार ने इस मामले में अपनी कंप्लायंस रिपोर्ट हाई कोर्ट में पेश की। इस रिपोर्ट में राज्य सरकार की ओर से कचरे के सुरक्षित निपटान की प्रक्रिया का विस्तृत विवरण पेश किया गया। इसके बाद कोर्ट ने इस प्रक्रिया की निगरानी के निर्देश देते हुए 27 मार्च तक ट्रायल रन की पूरी रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने के आदेश राज्य सरकार को दिए।
बता दें कि राज्य सरकार की ओर से यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे के निपटारे के लिए एक स्पष्ट कार्य योजना बनाई गई है। इस योजना को तीन चरणों में बांटा गया है, जिसमें 30 मेट्रिक टन कचरे का निस्तारण किया जाएगा।

तीन चरणों में किया जाएगा कचरा नष्ट
पहले चरण में 135 किलोग्राम प्रति घंटे की दर से कचरा नष्ट किया जाएगा और पहला चरण 27 फरवरी तक पूरा किया जाएगा। दूसरे चरण में प्रति घंटे 180 किलोग्राम कचरा नष्ट करने की योजना है, जिसे 4 मार्च को पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। तीसरे और अंतिम चरण में प्रति घंटे 270 किलोग्राम कचरा नष्ट करने की योजना बनाई गई है, और इस चरण की तारीख जल्द ही तय की जाएगी। इसके बाद तीनों चरणों की रिपोर्ट को सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के सामने पेश किया जाएगा, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि प्रक्रिया वैज्ञानिक और पर्यावरणीय मानकों के अनुसार की गई है।
वहीं, इस मामले में सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को तीन चरणों में ट्रायल रन करने की अनुमति प्रदान कर दी है। कोर्ट ने साफ कर दिया है कि पूरी प्रक्रिया को पर्यावरणीय मानकों के अनुसार किया जाना चाहिए और इस प्रक्रिया में किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
27 मार्च तक ट्रायल रन की पूरी रिपोर्ट पेश करने के निर्देश
वहीं, सरकार द्वारा यूनियन कार्बाइड के कचरे के विनष्टीकरण को लेकर फैल रही भ्रामक जानकारियों को रोकने के लिए जन जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। इस अभियान का उद्देश्य जनता को सही जानकारी प्रदान करना है और यह सुनिश्चित करना है कि कचरे के निपटान से पर्यावरण को कोई भी नुकसान नहीं होगा। राज्य सरकार को कोर्ट द्वारा 27 मार्च तक ट्रायल रन की पूरी रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए गए हैं। रिपोर्ट में राज्य सरकार को यह जानकारी देनी होगी कि कचरे के निपटान की प्रक्रिया कितनी प्रभावी रही और इससे पर्यावरण पर क्या प्रभाव पड़ा।