एसपी की नई पहल चर्चा में , स्टाफ को थानों में भाप दिलाने निकाला नया तरीका

Atul Saxena
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निवाड़ी, मयंक दुबे। जिले के एसपी (SP) ने अपने स्टाफ को कोरोना (Corona) से बचाने के लिए भाप लेना अनिवार्य कर दिया है खास बात ये है कि इस अधिकारी ने ही थानों और ऑफिस में ही भाप लेने की व्यवस्था की है।  कोरोना  (Corona) महामारी से बचाव के लिए दवा ही सबसे कारगर उपाय है लेकिन संक्रमण से बचने के लिए डॉक्टर्स सलाह देते हैं कि भाप लें, सोशल डिस्टेंसिंग रखें, मास्क पहने। अधिकांश लोग इन नियमों और सुझावों का पालन कर रहे हैं लेकिन इनमें से एक सुझाव या उपाय ऐसा है कि जो ऑफिस ड्यूटी पर रहने वालों के लिए थोड़ा मुश्किल है ये है भाप लेना।  लेकिन निवाड़ी जिले के एसपी (SP) ने अपने स्टाफ को कोरोना संक्रमण (Corona Infection) से बचाने के लिए नया तरीका निकाला है।

बढ़ते कोरोना संक्रमण के चलते देश सहित प्रदेश में हाहाकार मचा हुआ है। ऐसे में इससे बचने के उपायों को लेकर भी लोग गम्भीर हुए हैं। मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग के अलावा स्टीम यानि भाप लेने भी इससे बचाव में कारगर है।  चूँकि पुलिस का स्टाफ अधिकांश समय ड्यूटी पर रहता है उसे भाप लेना संभव नहीं हो पाता।  इस परेशानी और आवश्यकता को समझते हुए निवाड़ी जिले के एसपी (SP) ने पुलिस थानों और कार्यालयों में अनोखा तरीका इजाद किया है।

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एसपी अलोक कुमार सिंह (SP Alok Kumar Singh) ने जिले के थानों और कार्यालयों में नई व्यवस्था की है। थानों और कार्यालयों में गैस चूल्हे पर कुकर चढ़ाए गए और  सीटी की जगह नोजल लगाकर पाइप लगाए गए हैं जिससे पाइपों के जरिए भाप ली जा सके। पुलिस के अधिकारी कर्मचारी इस नए तरीके का भरपूर फायदा ले रहे हैं और ड्यूटी के दौरान भाप भी लेकर संक्रमण से  कर रहे हैं।

एसपी आलोक कुमार सिंह ने बताया की भाप लेना भी कोरोना से लड़ने के लिए कारगर हथियार है ऐसे में उन्होंने जिले के सभी थानों में ड्यूटी से आने वाले जवानों को भाप लेना अनिवार्य कर दिया है उन्होंने बताया कि पुलिस के द्वारा स्वनिर्मित इस स्टीम  मशीनों पर ड्यूटी खत्म होने के बाद जवान भाप लेता है इस मशीन में एक साथ दो या तीन लोग भाप ले सकते हैं उन्होंने लोगो से भी अपील वह भी अपने घरों में इसी तरह स्टीम मशीन तैयार कर कोरोना जैसी वैश्विक महामारी का डटकर मुकाबला करे। पुलिस इस नए तरीके का प्रदर्शन कर लोगों को जागरूक भी कर रही है


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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