Sun, Dec 28, 2025

Indore : नई तकनीक से पैरालिसिस का इलाज, 4 हफ्ते में ठीक हुआ लकवे का मरीज

Written by:Ayushi Jain
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Indore : नई तकनीक से पैरालिसिस का इलाज, 4 हफ्ते में ठीक हुआ लकवे का मरीज

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Indore : पैरालिसिस का शिकार हुए एक 61 वर्षीय बुजुर्ग के सिर्फ 4 हफ्ते में ही ठीक होने की जानकारी सामने आई है जिसे सुन कर सभी लोग हैरान रह गए है। दरअसल, बुजुर्ग व्यक्ति सर्वाइकल बीमारी से परेशान थे उन्हें पूरी बॉडी में पैरालिसिस हो गया था। जिसके बाद उनका नई तकनिकी की कायरोपैथी से इलाज किया गया। इस थेरेपी के बाद वह 4 हफ़्तों में ही ठीक हो गए और खुद से चलने फिरने लग गए। इतना ही नहीं अब वह खाना भी खुद से लेकर खाने लगे। ये मामला मध्यप्रदेश के इंदौर का है।

जानकारी के मुताबिक, 61 वर्षीय बुजुर्ग व्यक्ति को पैरालिसिस होने के बाद हाथ पैर में बिलकुल कंट्रोल नहीं था। स्थिति ये थी कि वह चल फिर भी नहीं पाते थे। उस वक्त डॉक्टर ने तुरंत सर्जरी करवाने की बात कहीं थी साथ ही ये भी कहा था कि सर्जरी के दौरान उन्हें स्ट्रोक भी आ सकता है। जिसके बाद उन्होंने हमेशा बिस्तर पर ही रहना पड़ेगा। इस बात को सुन कर परिवार वाले चिंतित हो गए। लेकिन सभी ने हिम्मत से काम लिया।

क्योंकि डॉक्टर ने कह दिया था कि गर्दन के पास की डिस्क खिसक गई जिसकी वजह से नर्व पर दबाव बन गया और उन्हें पैरालिसिस का अटैक आ गया। ये बात सितंबर 2022 की है। बुजुर्ग की MRI जांच भी करवाई जा चुकी थी। लेकिन परिवार वालों ने सर्जरी नहीं करवाई और दूसरे डॉक्टर्स की सलाह लेना सही समझना। ऐसे में परिवार वाले उन्हें लेकर इंदौर के स्पाइन व न्यूरो सेंटर में दिखने ले कर गए।

जहां डॉक्टर ने रिपोर्ट देख कर कहा कि उन्हें सर्जरी करवाने की जरुरत नहीं पड़ेगी। कायरोपैथी से उन्हें ठीक किया जा सकता है। ये एक नई टेक्नोलॉजी है। इसमें एडवांस मशीन से इलाज होता है। इसमें किसी भी तरह की सर्जरी और दवाई की जरुरत नहीं होती है। परिवार वालों ने इसमें सहमति जताई और इलाज शुरू करवाया। जिसके बाद 4 हफ्ते के अंदर ही मरीज को आराम मिलने लग गया और वह आराम से चलने फिरने लग गए।

इस तरह से हुआ इलाज

इस बीमारी का इलाज करने के लिए सेंटर पर 3D डायमेंशन के एडवांस मशीन मौजूद रहती है। जिसकी मदद से अगर कोई डिस्क खराब हुई है या फिर स्लिप हुई है तो उसका इलाज आसानी से किया जा सकता है। इसके लिए कोई सर्जरी और दवा की जरूरत नहीं होती है। डॉ नेहा द्वारा बताया गया है कि अगर डिस्क पूरी तरह से सॉकेट से बाहर नहीं है और कंप्रेसर है तो उसे 3D टेक्नोलॉजी द्वारा उसी पोजीशन में डीकंप्रेस करके नस के दबाव को कम किया जा सकता है। इसके लिए मरीज को एक स्पेशल चेयर पर उल्टा लेटाया जाता है। उसके बाद एक बड़े मॉनिटर पर लगे फॉरसेप से संबंधित डिस्क सहित अन्य हिस्सों को हल्के से दबाकर स्क्रीन पर लाइव रिजल्ट देखा जाता है। इसकी करीब 16 सिटिंग लेनी होती है। मरीज में फायदा दिखना शुरू हो जाता है।