MP Breaking News
Fri, Dec 19, 2025

MP का सबसे प्रसिद्ध तीर्थ स्थल, जहां सालों भर रहती है लोगों की भीड़; दिलचस्प रहा है इतिहास

Written by:Sanjucta Pandit
Published:
आज हम आपको मध्य प्रदेश के सबसे प्रसिद्ध तीर्थ स्थल के बारे में बताएंगे। वैसे तो ओंकारेश्वर, महाकाल और चित्रकूट तीनों ही प्रसिद्ध स्थल हैं।
MP का सबसे प्रसिद्ध तीर्थ स्थल, जहां सालों भर रहती है लोगों की भीड़; दिलचस्प रहा है इतिहास

मध्य प्रदेश (MP) को भारत का दिल कहा जाता है। यह राज्य देश की शान है, जहां आपको संस्कृति, सभ्यता, विरासत का अनोखा संगम देखने को मिलेगा। यहां एक से बढ़कर एक टूरिस्ट डेस्टिनेशंस हैं। इस राज्य से निकलकर फिल्म इंडस्ट्री में कलाकारों ने अपनी एक अलग पहचान बनाई है। शिक्षा जगत में भी छात्रों ने नाम रोशन किया है। यहां एक से बढ़कर एक विश्वविद्यालय हैं, जहां चारों दिशाओं के छात्र पढ़ने के लिए आते हैं। इसी राज्य में देश का सबसे स्वच्छ शहर भी मौजूद है। यहां के लोग बिजनेस में भी आगे हैं और सरकारी नौकरी पाने की भी जुनूनियत से भरे हैं। यहां एक से बढ़कर एक टूरिस्ट डेस्टिनेशंस हैं, जहां सालों भर पर्यटकों का आना-जाना रहता है। इनमें से कुछ हिल स्टेशन हैं, तो कुछ धार्मिक स्थल भी हैं। इससे राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलती है।

आज हम आपको मध्य प्रदेश के सबसे प्रसिद्ध तीर्थ स्थल के बारे में बताएंगे। वैसे तो ओंकारेश्वर, महाकाल और चित्रकूट तीनों ही प्रसिद्ध स्थल हैं।

उज्जैन (Ujjain)

इन तीनों जगहों पर सालों भर पर्यटकों का आना-जाना लगा रहता है, लेकिन सबसे अधिक श्रद्धालु उज्जैन में स्थित बाबा महाकाल के दर्शन के लिए पहुंचते हैं। यहां हर 12 साल में कुंभ मेला लगता है। यह शहर भारत की सात पवित्र नगरीयों में से एक माना जाता है। शिप्रा नदी के तट पर स्थित यह प्राचीन शहर महाकाल की नगरी के रूप में भी प्रख्यात है। यहां भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग स्थित है, जो कि दक्षिण मुखी होने के कारण अनोखा है।

यहां जाएं घूमने

दुख और संकट को हरने वाले बाबा भोलेनाथ के दर्शन के लिए भारत ही नहीं, बल्कि विश्व भर के पर्यटक यहां पहुंचते हैं। यहां का मंदिर दर्शन करने के बाद श्री महाकाल लोक कॉरिडोर जा सकते हैं, जहां 200 मूर्तियां विराजमान हैं। इसके अलावा आप रामघाट भी एक्सप्लोर कर सकते हैं, जहां हर रोज रात के 8:00 बजे आरती होती है। उज्जैन में आप सांदीपनि आश्रम घूम सकते हैं, जहां भगवान कृष्ण, सुदामा और भाई बलराम ने शिक्षा ग्रहण की थी। आप चाहे तो चिंता मां गणेश मंदिर भी जा सकते हैं, जो कि शहर के सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक है।

मंदिर का इतिहास

इस मंदिर का इतिहास भी बेहद रोचक है। मुगल और अंग्रेजी हुकूमत के अधीन रहने के बाद भी इस पावन स्थल ने अपनी पहचान नहीं खोई। वर्तमान में यहां पर्यटन को बढ़ावा देने की दृष्टि से कई सारे बदलाव किए गए हैं, जो कि काफी आकर्षक हैं। इतिहासकारों का ऐसा कहना है कि 1235 में महाकालेश्वर मंदिर को दिल्ली के सुल्तान इल्तुतमिश ने पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया था। इस दौरान महाकाल मंदिर के गर्भगृह में स्थित स्वयंभू ज्योतिर्लिंग को सुरक्षित बचाने के लिए करीब 550 सालों तक एक कुएं में रखा गया था।

इसके बाद मुगल शासक औरंगजेब ने मंदिर के अवशेषों से एक मस्जिद का निर्माण कराया, लेकिन साल 1728 में मराठा शूरवीर रनोजी राव सिंधिया ने मुगलों को परास्त कर इस मस्जिद को तोड़कर वापस मंदिर का निर्माण करवाया। 1732 में उज्जैन में फिर से नया मंदिर बनाकर कुएं में सुरक्षित रखी गई स्वयंभू ज्योतिर्लिंग की स्थापना की गई।

(Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। MP Breaking News किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है।)