Mahakal Sawari: विश्व प्रसिद्ध बाबा महाकाल के दरबार में हमेशा ही भक्तों की भीड़ लगी रहती है। महाकालेश्वर दुनिया का एकमात्र दक्षिण मुखी ज्योतिर्लिंग है, जिसके दर्शन करने के लिए देश-विदेश से लोग पहुंचते हैं। रोजाना यहां एक लाख से अधिक भक्त बाबा के चरणों में अपना नमन करने के लिए आते हैं। वैसे तो रोज ही मंदिर में भीड़ रहती है लेकिन जब बाबा महाकाल नगर भ्रमण पर निकलते हैं, तब उन्हें निहारने वाले भक्तों की संख्या में इजाफा हो जाता है।
देश में मनाया जाने वाला हर त्यौहार सबसे पहले महाकाल मंदिर में धूमधाम के साथ मनाया जाता है। यहां जो सवारी का संचालन होता है वह भी पंचांग के हिसाब से किया जाता है। श्रवण भादो मास में जहां बाबा की धूमधाम से सवारी निकाली जाती है, तो वहीं दशहरा पर राजाधिराज नए शहर यानी कि फ्रीगंज जाते हैं। इसके अलावा कार्तिक-अगहन मास में भी सवारी निकाली जाती है। इसके आलावा एक सवारी बैकुंठ चतुर्दशी पर निकलती है, जब हरिहर मिलन होता है।
कार्तिक-अगहन मास में महाकाल सवारी (Mahakal Sawari)
सावन भादो और दशहरा की सवारी के बाद अब कार्तिक-अगहन मास में बाबा नगर भ्रमण पर निकलेंगे। कुल चार सवारी निकलने वाली है जिसमें दो कार्तिक मास की और दो अगहन मास की रहेगी। इसके बाद 14 नवंबर को राजसी ठाट बाट के साथ रात 12 बजे राजाधिराज बाबा महाकाल द्वारकाधीश गोपाल मंदिर पहुंचेंगे और हरि को एक बार फिर सृष्टि का भार सौंप देंगे।
कब है सवारी
कार्तिक-अगहन मास में पहली सवारी 4 नवंबर को निकाली जाएगी। दूसरी सवारी 11 नवंबर को निकलेगी। 14 नवंबर को बैकुंठ चतुर्दशी पर हरिहर मिलन होगा। इसके बाद तृतीय सवारी अगहन मास में 18 नवंबर को निकलेगी। कार्तिक-अगहन मास की अंतिम सवारी 25 नवंबर को धूमधाम से निकाली जाएगी।
खास होता है हरिहर मिलन (Harihar Milan)
वर्ष में एक बार कार्तिक शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी पर हरिहर मिलन होता है। इस दिन रात 12 बजे बाबा महाकाल गोपाल मंदिर पहुंचते हैं। यहां पर शैव और वैष्णव संप्रदाय के प्रमुख हरि और हर का धूमधाम से मिलन करवाते हैं। हरिहर मिलन के दौरान भगवान भोलेनाथ गोपाल जी को बिल्व पत्र की माला पहनाते हैं और गोपाल जी भोलेनाथ को तुलसी की माला अर्पित करते हैं। इस तरह से एक बार फिर हर यानी भोलेनाथ सृष्टि का भार हरि यानी गोपाल जी को सौंप देते हैं। दरअसल, देवशयनी एकादशी से लेकर देवउठनी एकादशी तक भगवान विष्णु पाताल लोक में शयन करते हैं और शिवजी सृष्टि का भार संभालते हैं। श्रीहरि विष्णु के जाग जाने के बाद शिवजी पुनः उन्हें सृष्टि का संचालन सौंप देते हैं।
आतिशबाजी पर प्रतिबंध
जिस तरह से बाबा महाकाल की हर सवारी में भक्तों की भीड़ उमड़ती है। उसे तरह से हरिहर मिलन में भी भारी संख्या में भक्ति इस अद्भुत दृश्य को देखने के लिए पहुंचते हैं। इस दौरान धारा 144 (1) के अंतर्गत आतिशबाजी और हिंगोट का उपयोग करना प्रतिबंधित होता है। इस बार भी ये नियम लागू रहेगा और उल्लंघन पर संबंधित व्यक्ति पर कार्रवाई की जाएगी।