उज्जैन, डेस्क रिपोर्ट। उज्जैन (Ujjain) के विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर (Mahakaleshwar Temple) में हाल ही में महाकाल लोक (Mahakal Lok) का लोकार्पण किया गया है। इस महाकाल लोक की खूबसूरती को निहारने के लिए 20 दिनों में यहां लगभग 30 लाख से ज्यादा श्रद्धालु आ चुके हैं। दीपावली के बाद से यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के आने का सिलसिला लगातार जारी है। महाकालेश्वर दर्शन करने के साथ महाकाल लोक को निहारने के लिए आने वाली भीड़ का आंकड़ा हर दिन दो लाख के करीब पहुंच रहा है।
11 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महाकाल लोक का लोकार्पण किया था। उसके बाद यहां आने वाले श्रद्धालुओं की लगातार भीड़ बढ़ती जा रही है। लोकार्पण के बाद यहां रोज लगभग 1 लाख श्रद्धालु आ रहे थे और दीपावली के बाद ही आंकड़ा 2 लाख पर पहुंच गया है। पहले जहां मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ राजस्थान और महाराष्ट्र से श्रद्धालु पहुंच रहे थे। वहीं अब भारी संख्या में गुजरात के श्रद्धालु भी यहां आ रहे हैं। रविवार के दिन भी यहां भक्तों का जमघट देखा गया।
यहां आने वाले श्रद्धालुओं को सुविधा देने के लिए मंदिर समिति हर संभव व्यवस्था में जुटी हुई है। आंकड़े पता लगाने के लिए यहां दर्शन करने आने वाले लोगों की गणना भी की जा रही है। एक रिपोर्ट के मुताबिक बीते दिन हर 1 घंटे में लगभग 12000 श्रद्धालु बाबा महाकाल के दर्शन करने के लिए पहुंचे। इस हिसाब से 1 दिन में लगभग 1 लाख 80 हजार श्रद्धालुओं ने बाबा के दर्शन किए। यह आंकड़ा तो महाकाल दर्शन करने आने वालों का था लेकिन सिर्फ महाकाल लोक को निहारने के लिए ही दो लाख से ज्यादा श्रद्धालु यहां रोजाना पहुंच रहे हैं।
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महाकाल लोक को देखने आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या आने वाले समय में और भी बढ़ सकती है। वहीं आज बाबा महाकाल की कार्तिक मास की पहली सवारी भी निकलने वाली है। इसके चलते भीड़ और भी ज्यादा देखी जाएगी। परंपरा के अनुसार शाम 4 बजे पूजन अर्चन के पश्चात बाबा नगर भ्रमण पर निकलेंगे। राम घाट पर बाबा का पूजन अर्चन किया जाएगा जिसके बाद पारंपरिक मार्ग से होते हुए सवारी महाकाल मंदिर पहुंचेगी।
कार्तिक अगहन मास में पढ़ने वाले सोमवार को बाबा महाकाल की सवारी निकाले जाने की परंपरा बहुत पुरानी है। इसके अलावा वैकुंठ चतुर्दशी पर भी बाबा महाकाल की भव्य सवारी निकाली जाती है। जिसका गोपाल मंदिर पर विशेष पूजन अर्चन होता है। इसे हरिहर मिलन के नाम से जाना जाता है। कहा जाता है कि इस दिन भोलेनाथ सृष्टि का भार वापस श्री हरि विष्णु को सौंप देते हैं। वैकुंठ चतुर्दशी की यह सवारी शाम को नहीं बल्कि रात को निकाली जाती है। रात 11 बजे अपनी रजत पालकी में सवार होकर बाबा गोपाल मंदिर पर श्री हरि से मिलने पहुंचते हैं। पूजन पाठ के पश्चात रात 2:30 बजे के लगभग सवारी वापस मंदिर पहुंचती हैं। इस दौरान पूरे सवारी मार्ग में जमकर आतिशबाजी की जाती है।