MP Tourism: देश में वैसे तो घूमने फिरने के लिए कई जगह मौजूद है। लेकिन हिंदुस्तान का दिल कहे जाने वाला मध्य प्रदेश अपने आप में अनूठा इतिहास संजोए हुए है। यहां कई ऐसे स्थान मौजूद है जिनका प्राचीन परंपरा से गहरा रिश्ता है। धार्मिक नगरी कहां जाने वाला उज्जैन (Ujjain) भी इन्हीं में से एक है। देवी देवताओं के प्राचीन मंदिर विराजित है जिन से जुड़ी कहानियां भी प्रचलित हैं।
आपको उज्जैन की एक ऐसी जगह के बारे में बताते हैं जिसका भगवान श्री कृष्ण से गहरा रिश्ता है। मौजूद सांदीपनि आश्रम (Sandipani Aashram) में भगवान ने अपने भाई बलराम और दोस्त सुदामा के साथ पढ़ाई की थी। अंकपात क्षेत्र में बने हुए इस आश्रम में आज भी इन तीनों की गुरु सांदीपनि से शिक्षा लेते हुए मूर्तियां विराजित है। कहा जाता है कि 64 कलाएं श्री कृष्ण ने यहीं से सीखी थी।
MP Tourism में घूमें सांदीपनी आश्रम
कथाओं के मुताबिक द्वापर युग में श्री कृष्ण ने कंस का वध किया था। जिसके बाद मथुरा में यज्ञोपवित संस्कार होने के बाद पिता को उनकी शिक्षा की चिंता सता रही थी। उन्हें सांदीपनि व्यास जी के बारे में पता चला और मालूम हुआ कि वह एक विद्वान और शिव उपासक है। उन्होंने तय किया कि वह श्री कृष्ण और बलराम को शिक्षा लेने के लिए महर्षि सांदीपनि के आश्रम में भेजेंगे।
उस समय उज्जैन को अवंतिका के नाम से जाना जाता था और यहां पर राजमाता देवीराजा जयसिंह की पत्नी का शासन था। वासुदेव उन्हें अपनी मुंहबोली बहन कहते थे इस हिसाब से वह श्री कृष्ण की बुआ थी। लगभग 5266 साल पहले श्री कृष्ण अपने भाई बलराम के साथ पैदल मथुरा से उज्जैन पहुंचे। उस समय उनकी उम्र 11 साल 7 दिन थी। 64 दिनों तक उन्होंने महर्षि सांदीपनि से 64 कलाएं सीखी। 4 दिन में चार वेद 16 दिन में 16 विधाएं 6 दिन में छह शास्त्र 18 दिन में 18 पुराण और 20 दिन में उन्होंने गीता का समस्त ज्ञान प्राप्त कर लिया था।
श्री कृष्ण ने बनाया गोमती कुंड
कंध पुराण में यह भी बताया गया है कि महर्षि सांदीपनि रोजाना स्नान के लिए गोमती नदी पर जाया करते थे। यह देखकर भगवान श्री कृष्ण ने उनसे एक दिन कहा कि आप स्नान के लिए इतनी दूर क्यों जाते हैं मैं गोमती
माता का जल आपके लिए यही पर प्रकट कर देता हूं। पश्चात अपने गुरु को प्रणाम कर श्री कृष्ण ने धनुष बाण उठाया और गोमती मां का आवाहन करते हुए इतनी तेजी से धरती की और बाण को छोड़ा कि वहां बहुत गहरा गड्ढा हो गया। बताया जाता है कि बाण पाताल लोक तक गया और नीचे जाकर इस गड्ढे ने गाय के मुख का स्वरूप ले लिया और इसमें से जल धारा बहने लगी। देखते ही देखते यह जलाशय में परिवर्तित हो गया और इसे गोमती कुंड नाम दे दिया गया। कुंड में आज भी श्रीकृष्ण की चरण पादुका और चरणों के निशान देखे जा सकते हैं।
मौजूद है 64 कलाएं
इस आश्रम में 64 कलाओं से जुड़ी हुई प्रदर्शनी आज भी लगी हुई है। प्रत्येक के बारे में विस्तार से जानकारी भी दी गई है। सांदीपनि आश्रम में अब पढ़ाई तो नहीं होती है लेकिन यह एक मंदिर के रूप में सभी जगह विख्यात है। श्री कृष्ण की इस शिक्षा स्थली को देखने के लिए दूर-दूर से लोग यहां पहुंचते हैं और जन्माष्टमी के मौके पर खास कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है।
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ऐसे पहुंचे सांदीपनि आश्रम
अगर आप भी श्रीकृष्ण की इस शिक्षा स्थली का दीदार कर सकते हैं तो हवाई मार्ग से इंदौर यहां का सबसे नजदीकी एयरपोर्ट है। यहां से दिल्ली, मुंबई, जयपुर, हैदराबाद, पुणे और भोपाल की नियमित उड़ानें मिलती है। एयरपोर्ट से 55 किलोमीटर का सफर तय करके उज्जैन पहुंचा जा सकता है। उज्जैन रेलवे स्टेशन से 4 किलोमीटर की दूरी पर अंकपात क्षेत्र स्थित है और इसी क्षेत्र में सांदीपनि आश्रम बना हुआ है।