Mahakal Sawari: विश्व प्रसिद्ध बाबा महाकाल की नगरी वैसे तो हर दिन शिव की भक्ति में लीन रहती है लेकिन सावन के सोमवार को यहां जैसे आस्था का सैलाब उमड़ जाता है। दुनियाभर से भक्त यहां अपने आराध्य की एक झलक पाने के लिए पहुंचते हैं और बाबा के दर्शन कर निहाल हो जाते हैं। सावन का महीना भोलेनाथ का प्रिय माना जाता है और उज्जैन में इस दिन बाबा महाकाल अपनी प्रजा का हाल जानने के लिए नगर भ्रमण पर निकलते हैं।
शामिल होगा जटा शंकर स्वरूप
आज सावन का सातवां सोमवार है और एक बार फिर भक्तों को सवारी मार्ग पर पलक पांवड़े बिछाकर बाबा का स्वागत करते हुए देखा जाएगा। पालकी में चंद्रमौलेश्वर स्वरूप में महाकाल एक बार फिर प्रजा का हाल जानेंगे और एक नए रथ पर भोलेनाथ का जाता शंकर स्वरूप विराजित होगा। शाम 4 बजे सवारी मंदिर से निकलेगी जिसमें 10 लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद है क्योंकि सावन की सवारी के साथ नागपंचमी का शुभ संयोग भी बन रहा है।
इन रूपों में होंगे दर्शन
मंदिर के सभा मंडप में चंद्रमौलेश्वर का पूजन अर्चन करने के पश्चात शाम 4 बजे सवारी मंदिर से रवाना होगी। चांदी की पालकी में चंद्रमौलेश्वर, तो हाथी पर मनमहेश स्वरूप दिखाई देखा। इसके अलावा शिव तांडव, उमा महेश, होलकर, घटाटोप, और आखिर में सातवां स्वरूप जाता शंकर सवारी में दिखाई देगा।
सवारी निकलने से पहले मंदिर में सभी प्रतिमाओं का पूजन अर्चन किया जाता है। इसके पश्चात मंदिर के गेट पर सशस्त्र बलों की टुकड़ी बाबा को सलामी देती है और सवारी अपने निर्धारित मार्ग से होते हुए रामघाट पहुंचती हैं। यहां शिप्रा जल से बाबा का अभिषेक पूजन किया जाता है। इसके पहचान शहर के विभिन्न मार्गों से होती हुई सवारी पुनः मंदिर पहुंचती है।