Diwali 2023: विश्व प्रसिद्ध बाबा महाकाल के आंगन में हर त्यौहार बड़ी ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इस बार भी 12 नवंबर को दीपावली का त्यौहार तड़के भस्म आरती के साथ शुरू हो जाएगा। बाबा को केसर चंदन का उबटन लगाकर गर्म जल से स्नान करा कर सोने चांदी के आभूषणों से विशेष श्रृंगार होगा। इसके बाद अन्नकूट का महाभोग लगाकर फुलझड़ी से आरती की जाएगी। इसके पश्चात 7:30 बजे बालभोग आरती में भी भगवान को अन्नकूट लगेगा। चलिए आपको बताते हैं कि दीपावली का चार दिवसीय उत्सव बाबा महाकाल के आंगन में किस तरह से मनाया जाएगा।
पांच दिन महाकाल की दिवाली
महाकालेश्वर मंदिर में दीपावली उत्सव का क्रम 10 नवंबर यानी धनतेरस के दिन से शुरू हो जाएगा। इस दिन मंदिर के पंडे पुजारी भगवान का पूजन अर्चन कर अभिषेक करेंगे और देश और दुनिया की सुख समृद्धि की कामना करते हुए चांदी का सिक्का रख अर्चना की जाएगी। इसके पश्चात प्रबंध समिति द्वारा जो चिकित्सालय संचालित किया जाता है वहां पर भगवान धन्वंतरि की पूजन अर्चन होगी। 12 नवंबर को हर्षोल्लास के साथ पूरे मंदिर को जगमग करते हुए दीपोत्सव मनाया जाएगा।
गर्म जल से बाबा का स्नान
मंदिर में पूजन की जो परंपरा चली आ रही है उसके मुताबिक दीपावली के समय से सर्दी की शुरुआत मान ली जाती है। यही कारण है कि भगवान को गर्म जल से स्नान करवाने का क्रम शुरू हो जाता है। भस्मारती में केसर चंदन का उबटन लगाने के बाद बाबा को गर्म जल से स्नान करवाया जाएगा। इसके बाद महाभोग और फुलझड़ी से आरती होगी और शाम को दीपोत्सव के तहत पूरा मंदिर प्रांगण दीपों से जगमगा उठेगा।
चार दिवसीय पर्व में क्या खास
- महाकाल में धनतेरस के दिन से दीपोत्सव की शुरुआत होगी। पहले पंडे पुजारी देश और दुनिया की सुख समृद्धि के लिए अभिषेक पूजन करेंगे। इस दिन बाबा को चांदी का सिक्का अर्पित किया जाएगा।
- रूप चतुर्दशी के दिन पुजारी परिवार की महिलाएं भगवान को केसर और चंदन का उबटन लगाकर गर्म जल से स्नान करवाती हैं। ये नजारा बहुत कम देखने को मिलता है जब पुजारी परिवार की महिलाओं को भगवान का रूप निखारने के लिए उबटन लगाने का मौका मिलता है और इसके बाद कर्पूर की जाती है। इसके बाद आभूषण और वस्त्रों से बाबा का श्रृंगार कर अन्नकूट लगाया जाता है।
- 12 नवंबर को देश भर में दीपावली का त्यौहार मनाया जाएगा। महाकाल मंदिर में भी है तड़के 4 बजे भस्म आरती से शुरू होकर रात 10:30 बजे की शयन आरती तक चलेगा। इस दौरान दिन भर में होने वाली पांच आरतियों में फुलझड़ी जलाई जाएगी और भगवान का विशेष श्रृंगार होगा।
- गोवर्धन पूजन के दिन पुजारी परिवार की महिलाओं द्वारा गोबर से गोवर्धन बनाए जाते हैं और पूजन अर्चन की जाती है। इसके बाद चिंतामणि स्थित महाकाल मंदिर की जो गौशाला है वहां पर गाय का पूजन अर्चन भी किया जाता है।