उज्जैन।
मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं और इसकी वजह से राज्य में राजनीतिक सरगर्मियां तेज होती जा रही हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान प्रदेश भर में दौरे सभाएं कर रहे हैं तो वहीं मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस भी सत्ता विरोधी लहर पर सवार होने के लिए पूरा दमखम लगा रही है।इस सबके बीच इन दिनों उज्जैन जिले की घट्टिया विधानसभा सीट चर्चाओं में है।चर्चा का मुख्य कारण है हाल ही में कांग्रेस से बीजेपी में आए प्रेमचंद गुड्डू। क्योंकि इस बार इस सीट से उनके बेटे अजीत बौरासी मैदान में है और उनके सामने कांग्रेस से पूर्व विधायक रामलाल मालवीय। इस सीट पर गुड्डू की अच्छी पकड़ है और इसलिए भाजपा ने इस सीट पर जीत के लिए गुड्डू पर भरोसा जताया है। अब सभी की निगाहें गुड्डू के चुनावी मैनेजमेंट पर टिकी हैं।ऐसे में कांटे की टक्कर पर मुकाबला होने के आसार है।
दरअसल, घटिया विधानसभा जिले की सबसे बड़ी तहसील है।यह अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित है। पिछले चुनाव में यहां भाजपा के सतीश मालवीय ने जीत हासिल की थी, जबकि 2008 के चुनावों में इस सीट पर कांग्रेस का कब्जा था। रामलाल मालवीय यहां से जीते थे। खासबात तो ये है कि वे 2008 में भाजपा की लहर के बावजूद जीते थे और पिछला चुनाव हारने के बावजूद वे पांच साल मैदान में ही रहे।ऐसे में भाजपा के हाथ से जनाधार खिसकते हुए प्रतीत हो रहा है।
वही दूसरा कारण है ऐन मौके पर प्रत्याशी का बदला जाना है। क्योंकि भाजपा ने पहले मौजूदा विधायक सतीश मालवीय को टिकट दिया था इसी बीच कांग्रेस के प्रेमचंद गुड्डू भाजपा में शामिल हो गए थे, जिसके बाद भाजपा ने आनन-फानन में मालवीय का टिकट काटकर भाजपा में अजीत बौरासी को दे दिया था। जिसके कारण भाजपा कार्यकर्ताओं मे भी नाराजगी है। इससे ज्यादा किसानों का डर भी है। यहां के लोग पूरी तरह से कृषि पर निर्भर हैंय़क्षेत्र की बुनियादी सुविधाओं की बात करें तो सड़क, बिजली और पानी यहां की प्रमुख समस्या है वही जलसंकट और बेरोजगारी जैसे मुद्दों को लेकर भी क्षेत्र में चर्चा है। ऐसे में भाजपा प्रदेश सरकार की योजनाओं के सहारे कब्जा बरकरार रखने के प्रयास में जुटी है।भाजपा ऐसा कोई भी मौका नहीं चूकने वाली कि जिसमें वो विधानसभा चुनाव में कांग्रेस हावी होने दे। वही कांग्रेस के रामलाल लगातार सरकार की नाकामियों को लेकर जनता के बीच पहुंच रहे है। कांग्रेस प्रत्याशी मालवीय को अपनी सक्रियता और जमीनी पकड़ पर भरोसा है। यह भरोसा कुछ हद तक सही भी है, लेकिन उन्हें अकेले के दम ही किला लड़ना पड़ रहा है।