उमरिया, बृजेश श्रीवास्तव। उमरिया में शराब दुकान में अनियमितता देख कलेक्टर ने शराब दुकान के कर्मचारी को सरेआम मुर्गा बना दिया। महाशिवरात्रि की रात को भ्रमण पर निकले कलेक्टर ने संजीव श्रीवास्तव ने शराब दुकान कर्मचारी को मुर्गा बनने की सजा दे दी।
जब कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव देर रात भ्रमण पर निकले तो स्टेशन रोड स्थित शराब दुकान के भीतर अधिक संख्या में लोगों की मौजूदगी देखकर उन्होंने पूछताछ की। कर्मचारियों ने स्पष्ट जवाब नहीं दिया तो कलेक्टर ने मौके पर ही अपनी गाड़ी रुकवाई और दुकान के पास जाकर जांच करने लगे। उन्हें आसपास गंदगी भी नजर आई और इसपर गुस्से से भड़के कलेक्टर ने वहां मौजूद कुछ लोगो को बाहर निकाल दिया। इसी बीच शराब दुकान के संचालक अरुण प्रताप सिंह भी वहां पहुंच गए।
भड़के हुए कलेक्टर ने दुकान संचालक को नियमों का पालन करने की नसीहत दी और दुकान पर मौजूद जिम्मेदार कर्मचारी को मुर्गा बना दिया। बढ़ते कोरोना संक्रमण के बीच भी उमरिया में अंग्रेजी शराब दुकानों पर इस तरह की लापरवाही रोज देखने को मिलती है। लेकिन इस बीच ये भी समझने वाली बात है कि क्या कलेक्टर महोदय इस तरह किसी को भीड़ के बीच मुर्गा बनने की सजा दे सकते हैं?
हैरत की बात यह भी दिखी कि जब कलेक्टर ने कर्मचारी को मुर्गा बनने के निर्देश दिए तब संचालक ने उससे कहा यहां से भाग और वह बिना कलेक्टर से पूछे भाग खड़ा हुआ। कलेक्टर भी दुकान संचालक के आगे कुछ नहीं बोले, बस नसीहत दी और चल दिए। लेकिन साहब सबसे बड़ा सवाल यह है कि सजा देनी थी तो नियम कायदे हैं और आप तो जिले के मुखिया हैं, फिर आखिर आपको किसने यह अधिकार दिया कि आप एक गरीब कर्मचारी को सरेआम मुर्गा बना दें। अब जब यह वीडियो वायरल हुआ है और उस कर्मचारी की पत्नी, उसके बच्चे या परिजन इस वीडियो को देखेंगे तो वह किस कदर आहत होंगे, यह सोचने वाली बात है। लेकिन इतना सब होने के बाद भी कलेक्टर के ऊपर कोई कार्यवाही होगी, इसमें संशय है। खैर छोड़िए, कलेक्टर के इस रवैये ने एक बार फिर अंग्रेजों का जमाना तो याद दिला ही दिया।