उमरिया, बृजेश श्रीवास्तव। देश के प्रधानमंत्री (Prime minister) का स्वच्छ भारत का सपना अब अधूरा होते नजर आ रहा है, मामला उमरिया (Umaria) का है जहां स्वच्छ सर्वेक्षण (Swachh Survekshan) करने आई टीम की खुद उन्ही के कर्मचारी ने पोल खोल दी। दरअसल जब मीडिया ने स्वछता की हकीकत जानना चाही तो सर्वे करने आये कर्मचारी मीडिया से बचते नजर आए। वही सर्वे प्रमुख का कहना है कि हमें ऊपर से ही टारगेट दिया जाता है, हम उसी जगह की हम फोटों खींचते है। अब चाहे वहां गंदगी हो या सफाई।
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नगर पालिका परिषद (Municipal Council) उमरिया के विभिन्न वार्डो में एक सप्ताह से स्वच्छता और ओडीएफ का सर्वे करने वाली टीम की आज पोल खुलकर सामने आ गई है। मीडिया से दूरियां बनाने के बाद भी मीडिया के कैमरे में आखिरकार सर्वे टीम कैद हो ही गई और टीम के मुखिया ने स्वयं यह कबूल कर लिया कि हमें जहां कहा गया है, हम वही के फोटो वीडियो भेज रहें हैं। अब चाहे वहां गंदगी हो या सफाई। टीम के मुखिया के साफ़ कहा जा सकता है कि
जमीनी स्तर के कर्मचारी काम चोरी के साथ-साथ स्वच्छ भारत के पैसों से अपनी जेबें भरने में लगे है, इसमें इन छोटे कर्मचारियों को दोष देना गलत होगा, यहां तो प्रदेश स्तर से लेकर नगर पालिका के बड़े अधिकारी सम्मलित हैं। नगर में स्वच्छता अभियान की पेंटिंग के नाम पर लाखों रुपए का वादा न्यारा कर दिया गया है, इस सर्वे के चलते प्रदेश के जिम्मेदार तो पैसा खा ही रहे हैं, वही प्रदेश से बाहर दूसरे प्रदेश बिहार के एनजीओ भी अपने हाथ सेनेटाइज कर रहे है।
बिहार एनजीओ का कमाल
बताया गया कि सर्वे टीम के अधिकारी पूरे सप्ताह बिहार एनजीओ के इशारों पर नाचते रहे थे। और साफ सुथरी गलियों की फोटो अपलोड कर रहे थे और गंदगी से लिप्त वार्ड जस के तस पड़े रहे। मामले को लेकर यह भी बताया जा रहा है कि महीनों से कुर्सी तोड़ रहे इस एनजीओ को हर माह 95 हजार का बिल पास किया जाता है।
ऐसे हुआ था पुराना सर्वे
बता दें कि जिले के नगर पालिका परिषद उमरिया में पूर्व में ऐसे ही गुप्त सर्वे कराकर गंदगी का सर्टीफिकेट लेने की बजाए ओडीएफ और स्वच्छता सर्वेक्षण 2020 का स्टार ले लिया गया। जबकि जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है। म. प्र.भोपाल से नगर स्वच्छता सर्वे के अधिकारी और बिहार से आये एनजीओ ने मिलकर स्वच्छता अभियान के भष्ट्राचार का अड्डा बना दिया है। इन दिनो नगर में स्वच्छता की टीम व नगर को ओडीएफ ++ की टीम ने उमरिया मे डेरा जमाया हुआ हुआ है। जहां पर इन टीमों को जानकारी दी जाती है कि यहां का सर्वे करें लेकिन उनका जबाव यह रहता है कि सर्वे कहां करना है, इस दौरान सर्वे कर रही एक टीम मीडिया के कैमरे मे कैद हो गई, मीडिया ने जब स्वच्छता की हकीकत जाननी चाही तो सर्वे टीम के अधिकारी कैमरे के सामने से बचते नजर आये। सर्वे अधिकारी का कहना है कि हमें ऊपर से निर्देश दिये जाते है कि इन जगहों की फोटो लेनी है साथ ही इस मामले मे कुछनहीं कह सकता।
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