गड्ढे खोदने की मजदूरी नहीं दे रहा वन विभाग, कलेक्ट्रेट परिसर में धरना दे रहे मजदूर

कड़ाके की ठंड में चार दिनों से भूखे प्यासे बच्चों के साथ कलेक्ट्रेट परिसर में बैठे मजदूरों की मजदूरी वन विभाग नहीं दे रहा है, जिससे वह परेशान हैं और खाने के लाले पड़े हुए हैं।

Amit Sengar
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Umaria News : गरीबों और मजदूरों के लिए कल्याणकारी योजनाए चलाने और हितों की रक्षा करने के प्रदेश सरकार के दावों की पोल शासन के ही विभाग खोल रहे हैं। उमरिया जिले के वन विभाग में मजदूरी करने आए मजदूर चार दिनों से कलेक्ट्रेट परिसर में धरने पर बैठे हैं।

वन विभाग के कर्मचारियों ने इन मजदूरों से गड्ढे तो खुदवा लिए लेकिन इनकी मजदूरी देने में अब आनाकानी कर रहा हैं। जब मजदूरों ने चंदिया रेंजर से पैसे मांगे तब उनके द्वारा गाली गलौज की, इसकी शिकायत कलेक्टर के पास पहुंची हैं, मगर अब तक अधिकारी पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। इधर कड़ाके की ठंड में चार दिनों से भूखे प्यासे बच्चों के साथ कलेक्ट्रेट परिसर में बैठे मजदूरों की मजदूरी वन विभाग नहीं दे रहा है, जिससे वह परेशान हैं और खाने के लाले पड़े हुए हैं।

भुगतान मांगा तो मिली गालियां

यह पूरा मामला वन विभाग के चंदिया रेंज क्षेत्र के घोघरी ग्राम का है, जहां पौधे लगाने के लिए गड्ढा करायें गये और लेंटाना की भी कटाई कराई गई, परंतु अब पैसा देने की बारी आई तो वन विभाग ने हाथ खड़े कर दिये, इतना ही नहीं शराब के नशे में धुत्त होकर बीट गार्ड रमेश नामक कर्मी द्वारा मां बहन की गाली देकर अपमानित किया गया।

जिससे शिकायत करनी है वहां कर दो

रेंजर का कहना है कि तुम लोगों को जहां जाना है वहां शिकायत करो, वन विभाग के इस तानाशाह रवैए से परेशान होकर मजदूर अपने छोटे बच्चों के साथ चार दिनों से अधिकारियों के दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं मगर उन्हें यह आश्वस्त करने वाला कोई नहीं मिला कि अब आप लोगों की मजदूरी मिल जायेगी। हालांकि इस मामले में विभाग के एसडीओ ने मजदूरी दिलाने की सफाई दी है।

उमरिया से ब्रजेश श्रीवास्तव की रिपोर्ट


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मुझे अपने आप पर गर्व है कि में एक पत्रकार हूँ। क्योंकि पत्रकार होना अपने आप में कलाकार, चिंतक, लेखक या जन-हित में काम करने वाले वकील जैसा होता है। पत्रकार कोई कारोबारी, व्यापारी या राजनेता नहीं होता है वह व्यापक जनता की भलाई के सरोकारों से संचालित होता है।वहीं हेनरी ल्यूस ने कहा है कि “मैं जर्नलिस्ट बना ताकि दुनिया के दिल के अधिक करीब रहूं।”

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